For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ तुम्हें कहाँ से लाऊं ???

वो छोटी सी पगडण्डी 
जिसकी नुकीली झाड़ियाँ 
अपने हाथों से काटकर 
बनाई थी तुमने मेरे चलने के लिए, 
आज वो कंक्रीट की सड़क बन गई है 
जो पौधा अपने आँगन 
में लगाया था तुमने, 
वो सघन दरख़्त बन गया है 
नई- नई कोंपले 
भी निकल आई हैं उसपर 
जो नन्हा दिया जलाया 
था तुमने मुझे रौशनी देने के लिए 
वो अब आफताब बन गया है 
तुम्हारे उस कच्ची माटी के घरौंदे 
ने कंक्रीट के परिधान पहन लिए हैं 
तुमने जो एक बार मेरे सामने 
दो लकीरें खींची थी 
जिनके अंतिम छोर पर एक- एक
चाकलेट रखी थी  
और एक लकीर पर फूल बिछाए थे 
और एक पर छोटे- छोटे पत्थर
फिर मुझे कहा था 
कि किसी एक लकीर पर चलकर 
चाकलेट उठा कर लाओ 
आज मैं उसका अर्थ समझ चुका हूँ 
तुम्हारी कसम आज मैंने 
पत्थरों वाली लकीर पर चलकर
अपना लक्ष्य प्राप्त किया है 
मंजिल मेरी मुठ्ठी में है 
चाहता हूँ खोल कर दिखाऊं
पर माँ तुम्हें कहाँ से लाऊं ??? 
         *******
(happy mother's day 13/5/12)

Views: 556

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 18, 2012 at 6:29pm

आदरणीय राजेश जी
                 सादर,
                               आज मैं उसका अर्थ समझ चुका हूँ
                  तुम्हारी कसम आज मैंने
                  पत्थरों वाली लकीर पर चलकर
                  अपना लक्ष्य प्राप्त किया है
                  मंजिल मेरी मुठ्ठी में है
                  चाहता हूँ खोल कर दिखाऊं
                  पर माँ तुम्हें कहाँ से लाऊं ???
मदर्स डे पर आपने बहुत ही मार्मिक रचना लिखी है दिल को छू गयी. बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 11, 2012 at 10:12pm

सुरेन्द्र कुमार शुक्ला जी बहुत- बहुत हार्दिक आभार आप सही कहते हैं कोई माँ अपने बच्चे को गलत सीख दे ही नहीं सकती 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 11, 2012 at 10:02pm

कि किसी एक लकीर पर चलकर 

चाकलेट उठा कर लाओ 
आज मैं उसका अर्थ समझ चुका हूँ 
तुम्हारी कसम आज मैंने 
पत्थरों वाली लकीर पर चलकर
अपना लक्ष्य प्राप्त किया है 
मंजिल मेरी मुठ्ठी में है 
चाहता हूँ खोल कर दिखाऊं
पर माँ तुम्हें कहाँ से लाऊं ??? 
बहुत सुन्दर ...माँ की सोच उसकी शिक्षा माँ ही  दे सकती है अनुपम है ...आभार  --भ्रमर ५ 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 11, 2012 at 8:10pm

हार्दिक आभार संजय  कुमार पटेल जी  मात्र दिवस  की शुभकामनाएं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 11, 2012 at 8:10pm

 हार्दिक आभार अजय बोहत मात्र दिवस  की शुभकामनाएं 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 11, 2012 at 8:04pm

माँ तुम्हें कहाँ से लाऊं ???


in bhaavon ke liye aapko hardik badhai .............behad  bhavnatmak

Comment by AjAy Kumar Bohat on May 11, 2012 at 7:14pm

Bahut hi marmik rachana Rajesh ji, mera pranaam aapko.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 11, 2012 at 5:07pm

गणेश बागी जी हार्दिक आभार मेरी भावना की  कद्र करने के लिए 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 11, 2012 at 5:05pm

हार्दिक आभार सौरभ जी मेरी रचना ने आपके दिल को छुआ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 11, 2012 at 5:03pm

बहुत- बहुत आभार आशीष जी ये सच है माँ हमेशा दिल में रहती है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service