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आपका स्वागत है
अरुण जी प्रोत्साहन के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया
वाह बेहद खुबसूरत ग़ज़ल रेखा जी.
आदरणीय रेखाजी, नमस्कार,
दर्दे हिज्र को बड़े सटीक शब्दों में बयान करती हुई रचना के लिए बहुत बहुत बधाई रेखा जी !! सुंदर अभिव्यक्ति !!
रेखा जी
सादर,
रात में यह दिल तन्हां डूब जाता है ,
मायूसियों के आलम में दम घुटा जाताहै
सुन्दर रचना. लिखती रहें.
आदरणीय सौरभ जी प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |
रचना के सकारात्मक प्रयास हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ
इंतजार और अभी,और अभी और अभी ,
सब्रे पैमाना अब लब से छुटा जाता है |
kya hi lajawab panktiyan hain, Badhai Rekha ji....
thanks yogi ji
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