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"माँ" को शब्दों मे बयां करना नामुमकिन है,

पर कुछ एहसासों को अल्फ़ाज़ मे पिरोने की कोशिश की है,

**************************************

 

जब कभी मुझ पे मुसीबत ये हवा लाती हैं,

तब बचा के मुझे बस माँ की दुआ लाती हैं ।

 

देख लेती है अगर धूप मे चलता मुझको, 

दौड़ कर साये मे वो मुझको बुला लाती है । 

 

माँ की लोरी के वो अल्फ़ाज़ मुझे याद हैं सब, 

आज भी नींद मुझे उसकी सदा लाती है ।

 

कितनी पी जाऊँ मै कुछ नहीं होता है मुझे, 

माँ के ही हाथ से तासीर दवा लाती है ।

 

मंज़िलें जितनी भी मिलती हैं ये रोशन तुझको, 

इन मुकामात पे बस माँ की दुआ लाती है । ....... "Roshan"

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Comment by D.K.Nagaich 'Roshan' on June 1, 2012 at 2:08pm

डॉ. सूर्या बाली "सूरज"  saheb... aapne mujhe aur mere shabdo'n ko ek bahut bade ustaad shayar Munawwar Rana saheb se jod kar dekha , ye mere liye bahut hi faqr ki baat hai.. main un jaise shayar ka ek zarra maatra hoon... aapka tahe dil se shukriyaa karta hoon... aapki duao'n aur hausla afzayee ke liye...  hamesha aapki muhabbat aise hi milti rahe mujhe, main aise hi koshish karta rahoonga... bahut shukriyaa...

Comment by D.K.Nagaich 'Roshan' on June 1, 2012 at 2:03pm

Shri PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA sahen..आपको  मेरी ग़ज़ल पसंद आयी और आपने मेरी हौसला अफज़ाई की , आपका बहुत बहुत शुक्रिया..

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 22, 2012 at 8:59pm

कितनी पी जाऊँ मै कुछ नहीं होता है मुझे, 

माँ के ही हाथ से तासीर दवा लाती है ।

सही कहा अपने शब्दों में बयान मुश्किल है. फिरभी आपने बहुत अच्छा निभाया है. बधाई.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 21, 2012 at 10:51pm

मंज़िलें जितनी भी मिलती हैं ये रोशन तुझको, 

इन मुकामात पे बस माँ की दुआ लाती है । ....

हाँ डी के जी माँ की दुआ ..      हमारे  जीवन भर काम आती है ..सुन्दर रचना .. -भ्रमर 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 21, 2012 at 2:45pm

bahut sundar ghazal sir ji .....................waah waah kya baat hai


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 21, 2012 at 1:12pm

बहुत खूब डी के नगाइच साहिब.

Comment by AVINASH S BAGDE on May 21, 2012 at 11:06am

मंज़िलें जितनी भी मिलती हैं ये रोशन तुझको, 

इन मुकामात पे बस माँ की दुआ लाती है । ek roshan gazal...

Comment by AVINASH S BAGDE on May 21, 2012 at 11:05am

जब कभी मुझ पे मुसीबत ये हवा लाती हैं,

तब बचा के मुझे बस माँ की दुआ लाती हैं ।

 

देख लेती है अगर धूप मे चलता मुझको, 

दौड़ कर साये मे वो मुझको बुला लाती है । .. वाह! नागैच साहब, बहुत ही सुन्दर..


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 21, 2012 at 10:25am

ला ल ला ला  ला ल ला ला  ला ल ला ला  ला ला 

वाह वाह नागैच साहब, बहुत ही सुन्दर और प्रवाह युक्त बहर, मतला से लेकर अंतिम शेर तक पूरी ग़ज़ल बहुत ही खुबसूरत ख्याल से लबरेज है, अच्छी कहन, बहुत बहुत बधाई कुबूल करें श्रीमान |

Comment by Nilansh on May 20, 2012 at 11:38am

कितनी पी जाऊँ मै कुछ नहीं होता है मुझे, 

माँ के ही हाथ से तासीर दवा लाती है ।

bahut sunder

aapko bahut subhkaamnaayen

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