नन्हे बबलू ने रोहित से पूछा ,''अंकल क्या सूरज थकता नही है ?वह तो कभी सोता ही नहीं ,''उस नन्हे बच्चे के इस सवाल ने रोहित को लाजवाब कर दिया |एक हारे हुए इंसान को उम्मीद की नवकिरण दिखा रहा था ,उस पांच साल के नन्हे से बच्चे का सवाल |एक हारा हुआ बिल्डर जिसकी बनाई हुई इमारत हाल ही में तांश के पत्तो सी बिखर गई थी और उसके साथ साथ उसकी आर्थिक स्थिति भी डांवाडोल हो चुकी थी,लेकिन बबलू का वह वाक्य उसे एक नई राह दिखा रहा था | रोहित ने अपनी कम्पनी के पूरे स्टाफ को फिर से बुलाया ,नयी रूपरेखा तैयार की गई और जुट गया एक बार फिर से उस प्रोजेक्ट को नए सिरे से बनाने में |इस बार रोहित बड़ी सतर्कता से हर काम अपनी ही देख रेख में करवा रहा था ,उसे न दिन का होश रहता था न रात का ,किसी पर कोई काम छोड़ता ही नही था| नन्हे बबलू के शब्द उसके कानो में सदा गूंजते रहते थे .उसे सूरज की तरह ही बनना है ,कभी थकना नही है |एक दिन उसकी अनथक मेहनत रंग ले ही आई और उसकी हार जीत में बदल चुकी थी |वह उस बुलंद इमारत के सामने खड़ा उसके पीछे प्रेरणा देते हुए चमकते सूरज को टकटकी बांधे निहार रहा था ,आज उस नन्हे बच्चे के सवाल का जवाब उसके पास है ,''सूरज कभी सोता नही ''|
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आदरणीय रेखा जी !
बहुत अच्छा सन्देश देती बहुत अच्छी रचना ....
बधाई.
प्रेरणा देती बहुत अच्छी रचना ! आदरणीय रेखा जी सादर नमस्कार ! एक खोबसूरत रचना देने के लिए बधाई
बहुत बहुत धन्यवाद राजेश जी ,ऐसे ही उत्साह बढ़ाते रहें |
रेखा जोशी जी एक बहुत अच्छा सन्देश दे रही है आपकी कहानी सच में कई बार बच्चों के मन में जो जिज्ञासा होती है उसमे बहुत तर्कसंगत बात निकल कर आती है इस प्यारी कहानी के लिए बधाई
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