५-जून ( विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में)
Comment
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी
डा प्राची, आपकी जिज्ञासा और भाई आशीष के सुझाव पर हार्दिक प्रसन्नता हुई. वस्तुतः इंगित छंदों में मात्रिक दोष ही है.
क्षत विक्षत जल और धरा = ११२११११२११२ = १४
प्रकृति की अनुनय विनय= १११ २ ११११ १११ = १२
रक्षा की करे याचना = २२ २१२२१२ = १४
देखिये, यदि मैं यथोचित कह पाया. सधन्यवाद.
बहुत सुन्दर सार्थक दोहे रचे हैं प्राची जी हार्दिक बधाई
हार्दिक आभार आशीष यादव जी
हार्दिक आभार आदरणीय सूर्या बाली जी
प्राची जी सादर अभिवादन ! आपने प्रकृति की पीड़ा को इन चार दोहों के माध्यम से व्यक्त कर दिया। ये अद्भुत है। बहुत सुंदर दोहे रचे हैं आपने। प्रकृति सरक्षण में इनका विशेष योगदान रहेगा। पर्यावरण दिवस सभी को मुबारक हो !! बहुत बहुत बधाई !!
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