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आदरणीय डॉ बाली जी अभी अभी जब मैंने अपना मेल खोला तो ये आप की लाख लाख बधाइयाँ देख कर मन हर्ष से झूम गया ..आप सब का ये प्रेम और 'उगता सूरज धुंध ' को मिली कामयाबी के लिए आप सभी हमारे प्रिय पाठकों , मित्रगन , पथ प्रदर्शक गन को भ्रमर की तरफ से आभार और ढेर सारा स्नेह ...उम्मीद रहेगी की ये हम सब का कारवाँ ..हमारे प्रिय बागी जी , योगराज जी , सौरभ जी तथा सभी विद्वद जन के सहयोग अथक परिश्रम से निखरता ऊँचाइयाँ चढ़ता रहेगा ..प्रायोजक गोल्डेन बैंड इंटरटेनमेंट (G-Band ) H.O.F-315, Mahipal Pur-Ext. New Delhi.को प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार
जय श्री राधे
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर ५ '
सुरेन्द्र भाई नमस्कार ! आप की रचना "उगता सूरज -धुंध में" को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना (Best Creation of the Month) चुने जाने पर आपको लाख लाख बधाइयाँ !
सुरेन्द्र कुमार भ्रमर जी बहुत उत्कृष्ट रचना है बहुत बहुत बधाई
आदरणीया रेखा जी हमारी युवा पीढ़ी जिसके कन्धों पर देश की जिम्मेदारी है यदि ऐसे ही उलझा रहा तो क्या करेगा सरकार को हर संभव सहायता दे इन्हें बढ़ाना चाहिए आभार आप का प्रोत्साहन हेतु ...जय श्री राधे
आदरणीय सुरेन्द्र जी ,सादर
वाह वाह सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर जी,
बहुत खूब कविता..........
बंधन खत्म कर
उच्छ्रिंख्ल होने की
लालसा बढ़ी है पश्चिम को देख
पूरब भूल गया -उगता सूरज
धुंध में खोता जा रहा है
कौन सा नियम है ?
क्या परिवर्तन है ?
सब कुछ तो बंधा है गोल-गोल है
अणु -परमाणु -तत्व
हवा -पानी -बूँदें
सूरज चंदा तारे
अपनी परिधि अपनी सीमा
जब टूटती है -हाहाकार
सब बेकार !
_______यहाँ तो आपने कमाल ही कर दिया .....बधाई !
खोजता था -नौ ग्रह से आगे
नए ग्रह की खोज में जहां
हम अपने वर्चस्व को
अपने मूल को -बीज को
सांस्कृतिक धरोहर को
किसी कोष में रख
बचा लेंगे सब -क्योंकि
यहाँ तो उथल -पुथल है
उहापोह है ...
सब कुछ बदल डालने की
होड़ है -कुरीतियाँ कह
अपनी प्यारी संस्कृति और नीतियों की
चीथड़े कर डालने की जोड़ -तोड़ है
आदरणीय भ्रमर जी, सादर अभिवादन
उत्क्रष्ट रचना. बधाई.
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