For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हँसता हुआ गुलाब बोला 
देखो मैं कितना सुन्दर हूँ !
कितना गोरा रंग मेरा ,
खुशबू का मैं घर हूँ !
कितना कोमल अंग मेरा ,
सहलाना तो छोडो !
पंखुडियाँ झड जाएँगी 
मुझको कभी न तोडो !

शाहों अमीरों का शान बना, पुष्पों का सरताज हूँ 
यूँ बहुत पुराना राजा हूँ मैं  फिर भी नया नया हूँ !

खाद रसों को चूस चूस कर इतना बड़ा हुआ हूँ 
ओढ़ भेड़ की खाल को मैं भेडिया बना खड़ा हूँ !

राधा के होंठों से मैं  लाली चुरा लाया हूँ 
राम के सिलीमुख को शूल बना बैठा हूँ !

इंद्र के सिंहासन पर बैठा दंड दिया करता हूँ 
रावण भी शर्मा जाये वो कर्म किया करता हूँ !

उड़ने वालों के नापाक इरादों को बर्बाद किया करता हूँ 
सरस्वती को कैद कर शैतानों को आबाद किया करता हूँ !

आने पर मेरी ड्योढी में सिंह घास चबा जाता है 
इश्वर मेरे प्रासाद में हर  रोज घंटा बजाता है !

रस नाम मात्र नहीं, बस आठोंगाँठ देह मेरी 
गजरे पे लगा निकल जाये मुझे प्रेयसी तेरी !

चूमकर नेहरु कहा वाह क्या सुन्दर, खुदा 
सृष्टा ने दे दिया क्या इसे सारी सुधा !

खुशी में मैं डूबा उतराया,
पता नहीं क्या क्या चुराया !
सारे मनीषी गुज़र गए,
उठा  उठा के रखते गए !
देख मुझे वक्र मूर्त 
सारे के सारे धूर्त 
पुष्पक विमान लौटा दिए 
फंदे पर लटकी जिंदगी जिए 

राजनीति, धर्मनीति, और समाजनीति 
सभी का मुझसे सृजन हुआ 
मैंने जो कहा वही सभी का कथन हुआ !

राम ने रावण को मारा,
कृष्ण ने कंस को मारा 
मैंने सारे जहाँ को मारा 
हो गया मदहोश साला !
थोड़ी सी खुशबू जैसे-
कनक का प्याला !

तू लट्टू हुआ रूपसी पर, मैंने उसी को रिझाया 
देख मुझे, मैं खोया नहीं बस पाया ही पाया !

कुछ शैतानों को सूझी क्या, लोकतंत्र का नारा लगाए 
समाजवाद , साम्यवाद में ऐसे बौराए 
क्या पतन मेरा हुआ.?
आँख में पट्टी बांध राजतंत्र ही फैलाया 
अरे देख तो, इंसानों को भी घास चराया !

मेहरूनिशा ने निचोड़ा इत्र ऐसा बनाया 
दुनिया में छत्र मेरा ही सजाया 
बच्चे से बूढ़े तक को मैंने ही नचाया 
अरे मेरा क्या बिगड़ा ?
मैंने ही सबको बसाया !

महिमा मेरी गाते रहे आदिकवि व्यास,कालिदास  सभी 
हुकूमत चलती है मेरी,करता हूँ दुनिया में मैं  राज अभी !

अर्जुन सा धनुही लिए खड़े हैं सब शूल मेरे 
वो करते हैं रखवाली हर फूल की मेरे !

मैं पुष्पराज , रूपराज, बलराज  चक्रवर्ती महाराज.
पूर्व से पश्चिम तक  उत्तर से दक्षिण  तक  मेरा ही साम्राज्य !

मैं ही धरा का धर्मवीर, गगन का समदर्शी ,
मैं ही माइक्रोस्कोप मैं ही दूरदर्शी !

मैं ही शब्द, मैं ही कंकड़
छोड़ दे त्रेतायुगी , द्वापरयुगी 
मैं ही कलयुगी शंकर !

गीता, बाइबिल और कुरान 
सोच सभी मुझसे सुजान 
मुझी से सब बह निकले 
साहिब,वेश्ता और पुराण !

लोकपाल, दिग्पाल ,इन्द्रपाल 
सभी मेरे प्रासाद के द्वारपाल 
ये नीला आसमां सारा 
सदा से ढाल मेरा 
मैं कालजयी, मैं मृत्युजयी
शक्तिजयी जयकार है मेरा !
इशारे पे मेरे दुनिया बनी 
सब जी रहे अहसान है मेरा 
मैंने मिटाया शान से 
सारा अभिमान है मेरा !

यमराज  मेरे चरणों पे आ जयगान किया करता है 
बृह्मा भी मुझ पर अभिमान किया करता है !

जब तक मैं हूँ ये जहान है 
मिला मुझे बृह्मा का अक्षय वरदान है.!!

          (अगस्त , ९६)

Views: 555

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Raj Tomar on June 20, 2012 at 10:30pm

बहुत बहुत शुक्रिया अलबेला खत्री साब . :)

Comment by Albela Khatri on June 19, 2012 at 9:26am

waah Raj Tomar ji.........

\umda kavita ke liye badhaai

Comment by Raj Tomar on June 19, 2012 at 12:35am

शुक्रिया श्रीमान सौरभ पाण्डेय सर . :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 19, 2012 at 12:22am

एक अच्छी कविताके लिये हार्दिक बधाई स्वीकारें,  भाई राज तोमरजी. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 18, 2012 at 5:53pm

भाई ये बात गुलाब को न बताना , बधाई 

Comment by Raj Tomar on June 18, 2012 at 1:42pm

शुक्रिया योगी जी. इस कविता में गुलाब एक प्रतीक महज़ है. कविता वंशवाद, पूंजीवाद पर है.

Comment by Yogi Saraswat on June 18, 2012 at 11:55am

मैं ही शब्द, मैं ही कंकड़
छोड़ दे त्रेतायुगी , द्वापरयुगी 
मैं ही कलयुगी शंकर !

bahut sundar shabd ! sambhavatah gulab ke sandarbh mein itane khoobsurat shabd aur itna vistrat chitran pahle kabhi padhne ko nahi mila ! badhai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
14 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
16 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
16 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
16 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
16 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
17 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service