For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विकलांगता अभिशाप ? (निजी डायरी के आधार पर)

११ वी कक्षा उतीर्ण करने के बाद वर्ष १९६३ में मेरे पिताजी एवं बड़े भाई ने सोचा लक्ष्मण ने संस्कृत विद्यापीठ,मुंबई से प्रथमाँ परीक्षा भी पास की है, को औयुर्वेदिक महाविद्यालय में पढने हेतू दाखिला दिला देते है | वैद्य एवेम आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रोफेसर श्रीछाजू राम जी की सलाह अनुसार प्रवेश आवेदन भरकर साक्षात-कार के पश्चात प्रवेश सूची में नाम न देखकर,लक्ष्मण के पिता रामदासजी ने प्रिंसिपल एव आयुर्वेदाचार्य श्री रामप्रकाश स्वामी से मिले, तो उन्होंने बताया की जब हमें प्रवेश हेतु शारीरिक दक्ष विद्यार्थी उपलब्ध हो रहे है तो फिर विकलांग और कमजोर विद्यार्थी को क्यों ले | आख़िरकार उसके पिता रामदासजी जो अग्रवाल कॉलेज में हायर सेकंडरी स्कूल भवन निर्माण का कार्य देख रहे थे, ने अग्रवाल कॉलेज के प्राचार्य से मिलकर पुनः १२ वी कक्षा में (प्रथम वर्ष बी.कॉम.) में दाखिला कराया, जहाँ एक माह का कोर्स हो चूका था | प्रथम वर्ष उत्तीर्ण करने के बाद घर की आर्थिक स्थिति देखते हुए,पढाई छुड़ा, नौकरी हेतु रोजगार कार्यालय में पंजीकरण कराया | एक माह के प्रयास से ही उसका एन सी सी कर्यालय से नियुक्ति पत्र आया, जिसमे "मेडिकल फिटनेस" का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने कीशर्त पर नियुक्ति होना लिखा था | सवाई मानसिंह अस्पताल के मेडिकल ज्यूरिस्ट ने बताया की आप सरकारी सेवा के लिए फिट तो नहीं हो, पर ५० रुपये देने पर रास्ता निकला जा सकता है |
.
लक्ष्मण के चाचा ने बताया की एक बार सेवा के लिए चिकित्सीय आधार पर अयोग्य घोषित होने पर ताजिंदगी नौकरी नहीं मिल सकेंगी |आखिरकार लक्ष्मण के भाई प्रकाश अपनि दीदी से ५० रुपये लाया और डाक्टर ज्यूरिस्ट के घर देकर आया उसने "श्री लक्षण जो दाहिने पाँव से ४० प्रतिशक विकलांग है, लिपकीय सेवा के योग्य है, मगर फ़ील्ड कार्यके लिए नितांत अयोग्य है" अंकित करते हुए प्रमाणपत्र दे दिया | इस प्रकार २७ प्रतियोगियों में से लक्ष्मण का एन सी सी में कनिष्ठ लिपिक हेतु चयन हो गया | वहा नौकरी के दौरान एक वर्ष बाद कैप्टन गोयल की सलाह पर लक्ष्मण ने सायंकालीन कक्षा में २ वर्ष पढाई कर बी कॉम के उपाधि प्राप्त की |
.
आगे तरक्की की ललक से उसने बैंक ऑफ़ इंडिया में लिखित परीक्षा उतीर्ण कर साक्षात्कार के लिए उपस्थित हुआ, वहा जोनल मैनेजर श्री रामयश पॉल ने सलाह दी क़ि बैंक में ऊंची ऊंची टेबले होती है, मोटे मोटे लेजर होते है, आप शारीरिक विकलांग होने के कारण कार्य नहीं कर पाओंगे,फिर आप सरकारी सेवा में तो हो ही, जो मिल रहा है,वही कार्य आपके लिए ठीक है | लक्ष्मण ने सोचा क़ि समाज में परिवर्तन क़ि आवश्यकता है | उसने लेखन कार्य शुरू किया, अग्रवाल समाज क़ि वर्षो से प्रकाशित "अग्रगामी"का शीघ्र ही सह संपादक बना, कुछ लेख जयपुर से प्रकाशित "राष्ट्रदूत",राजस्थान पत्रिका, में प्रकाशित हुए, फिर वह अग्रवाल समाज समिति कीकेन्द्रीय कार्यकारिणी में सदस्य निर्वाचित हुआ, शहर में युवा संगठन का महामंत्री, और "निराला समाज" त्रैमासिक पत्रिका का संपादक रहे |

वर्ष १९७५ में राजस्थान विश्व विद्यालय से कास्ट एंड वर्क्स (लगत लेखाकार)का डिप्लोमा, १९७७ में व्यवसाय प्रशासन में एम् कॉम उत्तीर्ण करने के साथ ही राजस्थान लोक सेवा आयोग की राजस्व लिखकर परीक्षा उत्तीर्ण कर राजस्व लेखाकार पद पर कलक्टर, जयपुर कार्यालय में नियुक्त हुए |वर्ष १९७८ में कम्पनी सेक्रेटरी की इण्टर परीक्षा उत्तीर्ण कर सफलता प्राप्त की | उन दिनों मोरारजी देसाई कि "नंदन"में एक प्रश्न के उत्तर में जवाब "हिम्मते मरदे मददे खुदा" सटीक लगी |

वर्ष १९९४ में व्.लेखाकार पद पर पद्दौनत होकर कुशल कार्य के लिए कलक्टर जयपुर से १९९५, और राजस्थान विधान सभा स्पीकर से वर्ष १९९९ में उत्कृष्ट कार्य का सम्मान और पुरष्कार प्राप्त किया | ५८ वर्ष की आयु में वर्ष २००३ में सेवा निवृति तक इस बात का इंतजार रहा की वर्ष १९८० अंतर राष्ट्रीय विकलांग वर्ष में पंजीकृत राज. आवासन मंडल से २३ वर्ष बाद भी मकान आबंटित नहीं हुआ | जबकि उसके साथ ही सामान्य श्रेणी में पंजीकृत लोगो को मकान आबंटित हो चुके है | अर्थात या तो विकलांग लोगो की भारत में तादात बहुत ज्यादा है कि विकलांग के लिए २%का आरक्षण कम है | या अशक्त के प्रति केवल दिखावा मात्र है | उससे कनिष्ठ लेखाकार सहाय लेखाधिकारी पद पर आरक्षित वर्ग से पदौन्नत हो गए, किन्तु उसकी प्रतिवर्ष की वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन में बहुत अच्छी रिपोर्ट के बाद भी पदौनाती वरिष्ठता के आधार पर नहीं हो पाई और विकलांग कर्मचारी के लिए केवल नियुक्ति में ही २% अरक्षण की व्यवस्था ,पदौन्नति में कोईआरक्षण नहीं है | लक्ष्मण को लगा विकलांग होना पहले तो और्वेदिक पढाई में,फिर बैंक में नियुक्ति मेंऔर आवासन मंडल में मकान पंजीकरण विकलांग कोटे में कराना अभिशाप बन गया ?

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

Views: 705

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 22, 2012 at 9:03am
हार्दिक आभार अविनाश स बागडे जी, आप जैसे प्रबुद्ध 
एवं जागरूक साथियों से स्नेह  और उत्साह से कार्य करने 
और अविरल आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है - लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment by AVINASH S BAGDE on June 21, 2012 at 4:00pm

aapake jazbe ko salam Lakshman sahab....wah!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 20, 2012 at 9:16pm

रेखा जोशीजी, बहुत बहुत आभार आपका | सच में आप साभी शुभ 

चिंतकों से जो हिम्मत मिलाती रहती है, वही प्रेरणा नित ऊर्जा का 
काम करती है | होंसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद |
Comment by Rekha Joshi on June 20, 2012 at 6:48pm

लक्ष्मण जी ,सादर नमस्ते ,आपकी हिम्मत को मेरा नमन ,कठिन परस्थितियों में भी आप ने अपना आत्मविश्वास बनाये रखा ,यूँ ही हिम्मत संजोये आगे बढ़ते रहें ,शुभकामनाएं |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 19, 2012 at 9:55am

 श्री अलबेला खत्रीजी, आपका आभार |

डायरी के पन्ने पढने से पाठक के मन भी दुखी हो जाता है, यह और भी दुखी करने वाली बात है, व्यवस्था में कुछ सापेक्ष बदलाव हो सके, इसके लिए जिम्मेदार लोगो को सद्बुद्धि दे प्रभु से यही प्रार्थना है | आपका बहुत बहुत धन्यवाद | 

Comment by Albela Khatri on June 19, 2012 at 9:24am

खेद हुआ बांच कर.....
किसी एक व्यवस्था को क्या दोष दें......
हम सभी उसी व्यवस्था का हिस्सा हैं और उसे  बनाए हुए हैं
तकलीफ हमें सिर्फ उस वक्त होती है जब इसके परिणाम देखते हैं या  हमारा कोई परिचित  इसके लपेटे  में आ कर  शोषित होता है

___मार्मिक  पन्ने........

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 18, 2012 at 7:18pm

बहुत बाहुत आभार आपका भाई श्री प्रदीप सिंह कुशवाहाजी  

इसमे किसी को दोष नहीं दिया जा सकता, हमारी सामाजिक
व्यवस्थाए ही ऐसी है | जो मिल जाय,वह इश्वर का प्रसाद है |
श्री आमिर खान का ९ जून को प्रसारित कड़ी से मुझे मेरी 
डायरी के पन्ने पलटने को विवश कर दिया | मेहनत में भी 
कुछ कमी रह गयी | आपका बाहुत बाहुत धन्यवाद |
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 18, 2012 at 5:50pm

आपके साथ घोर अन्याय हुआ है. जितनी भी निंदा की जाए वो कम है. दूसरों को गांधी जी के हत्यारे कहने वाले अपने बारे में सोचें. आपकी उपलब्धियों को मेरा सादर नमन.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
17 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
17 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service