रास्तों में मुश्किलें हैं आज इनसे होड़ ले.
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.
मंजिलें अलग-अलग हैं रास्ते जुदा-जुदा,
गर तू पीछे रह गया तो साथ देगा क्या खुदा,
हिम्मतों से काम लेके रुख हवा का मोड़ ले.
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.
रास्तों में मुश्किलें हैं आज इनसे होड़ ले................
हाथ-पांव साथ देंगें रोज इम्तेहान दे,
उड़ चलेगा हौसले बुलंद रख के ध्यान दे,
चमचमाते तारे आज आसमां से तोड़ ले.
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले...............
--अम्बरीष श्रीवास्तव
Comment
स्वागत है संदीप जी. गीत की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद .....बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ रची हैं आपने ....
//जात-पात भूल के अब हिंद का तू लाल बन
बन अडिग हिमालय सा हिंद का तू भाल बन
हाथ से मिला के हाथ शक्ति अपनी जोड़ ले
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले//
जात-पात भूल के जो हिंद का तू लाल बन
बन अडिग तू पर्वतों सा हिंद का तू भाल बन
हाथ से मिला के हाथ शक्ति अपनी जोड़ ले
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.......
वाह वाह वाह ......क्या कहने बहुत सुंदर सन्देश .......आपको भी बहुत-बहुत बधाई मित्र ...सस्नेह
स्वागत है आदरणीय अलबेला जी ! आपका हार्दिक आभार मित्र .... आप की सराहना पाकर यह सृजन सार्थक हुआ ......जय ओ बी ओ !
होंसलों से ही सभी दुविधाओं ,रुकावटों पर विजय प्राप्त होती है प्रगति के पथ पर बहुत सुन्दर सन्देश देती हुई आगे कदम बढ़ाती हुई आपकी इस रचना पर बहुत बधाई
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले...हम जैसे युवाओ के लिए बहुत जोशीला सन्देश देती रचना,
हिम्मते मरदे मददे खुदा - हार्दिक बधाई,अम्बरीष श्रीवास्तवजी
जात-पात भूल के अब हिंद का तू लाल बन
बन अडिग हिमालय सा हिंद का तू भाल बन
हाथ से मिला के हाथ शक्ति अपनी जोड़ ले
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले
बहुत खूबसूरत गीत सर जी
बहुत बहुत बधाई आपको सादर
धन्य हो आदरणीय अम्बरीश जी.......
दिन सुधार दिया आज का
___________वाह क्या अनुपम गीत !
जोश और दायित्वबोध का ऐसा अद्भुत और सुन्दर संगम देख कर मन प्रेरित हो रहा है कुछ ढंग का लिखने के लिए..........
हाथ-पांव साथ देंगें रोज इम्तेहान दे,
उड़ चलेगा हौसले बुलंद रख के ध्यान दे,
चमचमाते तारे आज आसमां से तोड़ ले.
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले...............
___हाय हाय हाय हाय ..क्या तेवर हैं आपके............नमन बन्धु नमन !
आपका ये अभिनव गीत किसी के जीवन से उदासियाँ निकाल कर उसे उजाले की राह पर अग्रसर होने की प्रेरणा देने में पूर्ण सक्षम है ..और यही तो कवि का कर्म है जो आपने बड़ी उस्तादी के साथ निभाया है
__आपकी जय हो गुरू !
स्वागतम आदरेया सीमा जी, आपका अनुमोदन पाकर यह सृजन सार्थक हो उठा है .....इस निमित्त आपके प्रति हार्दिक आभार ब्यक्त कर रहा हूँ ....सादर
प्रिय दीप्ति जी, इस गीत को सराहने के लिए आपका आभार ....सस्नेह ....
मंजिलें अलग-अलग हैं रास्ते जुदा-जुदा,
गर तू पीछे रह गया तो साथ देगा क्या खुदा,
हिम्मतों से काम लेके रुख हवा का मोड़ ले.
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.
रास्तों में मुश्किलें हैं आज इनसे होड़ ले................
बहुत ही सुंदर रचना है बहुत बधाई आपको
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