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आदरणीया राजेश जी ,आपने सही लिखा है ,लेकिन आजकल जिंदगी की आपाधापी में किसी को समझने का समय ही नही है अगर सब एक दूसरे को समझने लगें तो रिश्तों की मिठास बरकरार रहे गी ,आपका बहुत बहुत आभार
संदीप जी ,आपका आभार
आशीष जी ,यही तो विडम्बना है ,समाज में लोगों की सोच बहुत छोटी है ,आपको कथा पसंद आई ,आभार
आदरणीय बागी जी ,सादर नमस्ते ,आपकी बधाई स्वीकार की ,आपके अनमोल सुझावों के लिए मै हृदय से आभारी हूँ ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद
सतीश जी ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद
आदरणीय अम्बरीश जी .सादर नमस्ते ,आपको यह लघु कथा पसंद आई ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद ,ऐसे ही उत्साह बढ़ाते रहिये ,आभार
आदरणीय सौरभ जी ,सादर नमस्ते ,आपका कमेन्ट मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है ,आभार
बहुत सुन्दर लघुकथा कही है रेखा जोशी जी. कहानी अपना सन्देश देने में भी सफल रही है जिसके लिए मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें. गणेश बागी जी ने बहुत महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं, उन पर अवश्य ध्यान दें. दरअसल लघुकथा एक ऐसी विधा है जिसमे एक भी फालतू शब्द कहानी की सुन्दरता घटा सकता है. उदहारण के लिए आपकी इस कहानी में पानीपत का दो बार ज़िक्र आना तथा एटीएम से पैसे निकलवाने की बात को अगर नहीं भी कहा जाता तो कोई फर्क न पड़ता. बल्कि कहानी और चुस्त और सधी हुई बन जाती.
आज के समाज में कुछ रिश्ते इतने शुष्क हो गए हैं की लोग मन में एक धारणा बना कर बैठ जाते हैं जैसा की इस कहानी में चाहे ननद भाभी हो या सास बहु एक दूसरे के बीच दिलों में दूरी का एहसास होता है मुझे यह वार्तालाप में दूरी के कारण अधिक लगता है जहां दो इंसान दिल खोलकर एक दूसरे से बात नहीं करेंगे वहां दुनिया भर की भ्रांतियां पैदा हो जाती हैं जिसके कारण कई समस्याएं रिश्तों में कडवाहट भर देती हैं जैसा की इस कहानी में यदि भाभी ने कभी दिल खोलकर बातचीत के माध्यम से अपनी ननद को आत्मीयता दिखाई होती तो ननद ये शब्द कभी ना कहती इसका सीधा सा मतलब है ननद अपनी भाभी को कभी समझ ही नहीं पाई या भाभी ने कभी समझाया ही नहीं -------------आपकी कहानी बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है --------बहुत ही अच्छा लिखा है आपने आपको हार्दिक बधाई
अच्छी लघु कथा के लिए बधाई आपको आदरणीया रेखा जी
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