मुझको भी जिंदगी की, जरुरत बना गई,
वो नज़रों से छु मुझे, खूबसूरत बना गई //
आँखों से तोड़ गयी, ख्वाबों की पंखुड़ियों को,
कांटो ने छोड़ दिया, जख्मी कर उंगलियों को //
देख तुझको निगाहों, में भर आया पानी,
देन है, ये हसीनो की, है मेहरबानी //
लगा था मेला, मैं नीलाम हो गया,
कि दिल का सौदा, मेरा काम हो गया //
क्या कहूँ उसको समझ नहीं आता,
दिल में रहता है, घर नहीं आता //
Comment
भ्रमर जी एवं वसुधा जी बहुत-२ शुक्रिया.
आँखों से तोड़ गयी, ख्वाबों की पंखुड़ियों को,
कांटो ने छोड़ दिया, जख्मी कर उंगलियों को //
बहुत गहरी अभिव्यक्ति बधाई॥
मुझको भी जिंदगी की, जरुरत बना गई,
वो नज़रों से छु मुझे, खूबसूरत बना गई //
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