"कील चुभी वो नहीं विलग "
वे कहते हैं सब भूल गये
हम कहते कुछ भी याद नहीं
कारण मैंने भी किया वही
जो उसने पिछले साल किये
अब उसके भी एक आगे है
मेरे भी पीछे बाँध दिए !!
रस्में पूर्ण समाज ख़ुशी
हम भी फिरते हैं ख़ुशी ख़ुशी
हुए मुखरित अंकुर दूर सहज
पर कील चुभी वो नहीं विलग !!
अब कील चुभी दो हाथ मिले
संतुष्ट सभी कुछ आस हिये
लुट जाओ उनका हार बने
रोको मोती ना डूब मरे !!
वे भूले क्या ? जब ध्यान करें
क्या याद नहीं ? हम याद करें
आधार एक छवि एक मिली
दो प्राणों की है एक जमीं !!
मरोड़ दो छोड़ दो वहीँ नव-पल्लव को
ये आहें सांसें लेने को शीश उभर आया है ,
पी जाओ विष हैं ठीक कहे ,
है समता ,हम भी भूल गए !!
(पहला प्यार भूलता कहाँ है )
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
Comment
रस्में पूर्ण समाज ख़ुशी
हम भी फिरते हैं ख़ुशी ख़ुशी
हुए मुखरित अंकुर दूर सहज
पर कील चुभी वो नहीं विलग !!
बहुत बढ़िया भ्रमर जी बधाई.
कील चुभी वो नहीं विलग "
एकदम सही फरमाया है सर जी
हर पल है छन की योदों को तरो ताज़ा करती ये कविता
दो प्राणों की है एक जमीं !! बहुत ही खूब कहा
बहुत बहुत बधाई सुरेन्द्र जी
कील चुभी वो नहीं विलग -सुन्दर रचना जो व्यक्त करती मेरे इन भावों को-
आदरणीय अम्बरीश जी सच में पहला प्यार अपना घर तो मन में बना ही लेता है जब बिछड़े भी कभी मिल जाए तो एक सुन्दर छुवन वो चितवन कुछ कह ही जाती है बरबस .....आभार प्रोत्साहन हेतु
आदरणीय कुशवाहा पहले प्यार ने आप के दिल को भी छुआ कुछ सत्य लगा रचना में लिखना सार्थक रहा आभार
प्रिय अजीतेंदु जी जय श्री राधे ..रचना पहले प्यार की दास्ताँ आप को पसन्द आई सुन हर्ष हुआ आभार
भ्रमर ५
दो प्राणों की है एक जमीं....
'पहला प्यार भूलता कहाँ है' .........सुंदर पंक्तियाँ .....बधाई ....
पहला प्यार भूलता कहाँ है
सत्य ही कहा है. आदरणीय भ्रमर जी, सादर अभिवादन के साथ.
दो प्राणों की है एक जमीं !!
मरोड़ दो छोड़ दो वहीँ नव-पल्लव को
sundar panktiyan.......badhai......
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online