For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देने वाला दाता ही,  ताप है संताप है 
तुझे मिल रहा जो, कर्मो  का ही श्राप है 
 
मत समझ वे कमजोर, और तू बलवान है 
उनके बल पर ही बना, आज तू धनवान है 
 
भीड़ देखी हीन भाव से, वह मनुज शैतान है 
छीनकर सारा इनसे, कर रहा अभिमान है
 
चापलूसी धूर्तता से, हराभरा यह लॉन है
पानी के लिए है जमा, भीड़ को यह भान है 
 
दिन उनका  भी आएगा, नहीं तुझको ज्ञान है 
सोच आखिर इंसान से, इंसान का ही काम है 
 
उसके यहाँ न गरीब कोई, न कोई  धनवान है
गरीब और अमिर का, वहां एकही विधान है | 
 
 
 
 

Views: 379

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 12, 2012 at 11:00am

हार्दिक धन्यवाद भाई श्री अशोक कुमार शर्मा 'भ्रमर'जी. और अरुण शर्मा 'अनंत'जी  आप दोनों से दाद पाकर मै धन्य हुआ 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 12, 2012 at 7:22am

दिन उनका  भी आएगा, नहीं तुझको ज्ञान है 

सोच आखिर इंसान से, इंसान का ही काम है 
बहुत सुन्दर संदेश देती प्यारी रचना 
आदरणीय लडीवाला जी सुप्रभात ....आप को भी ढेर सारी शुभ कामनाएं रक्षाबंधन , कृष्ण जन्माष्टमी और स्वतंत्रता दिवस की .
.भ्रमर 5
Comment by अरुन 'अनन्त' on August 8, 2012 at 11:57am
उसके यहाँ न गरीब कोई, न कोई  धनवान है
गरीब और अमिर का, वहां एकही विधान है |
 वाह सर वाह क्या बात , तहे दिल से दाद कुबूल कीजिये
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 7, 2012 at 9:19am
आदरणीय रेखा जोशीजी, श्री अशोक कुमार रक्तालेजी और 
श्री योगी सारस्वत जी रचना पसंद आई हार्दिक आभारी हूँ 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment by Ashok Kumar Raktale on August 6, 2012 at 9:28pm

आदरणीय

             सादर प्रणाम,

चापलूसी धूर्तता से, हराभरा यह लॉन है
पानी के लिए है जमा, भीड़ को यह भान है 
सम सामयिक परिस्थिति पर लिखी सुन्दर रचना.
Comment by Rekha Joshi on August 6, 2012 at 7:24pm

मत समझ वे कमजोर, और तू बलवान है 

उनके बल पर ही बना, आज तू धनवान है ,अतिसुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई लक्ष्मण जी 
Comment by Yogi Saraswat on August 6, 2012 at 4:21pm
चापलूसी धूर्तता से, हराभरा यह लॉन है
पानी के लिए है जमा, भीड़ को यह भान है
bahut khoob

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी बहुत शुक्रिया आदरणीय चेतन प्रकाश जी "
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  अच्छी ग़ज़ल हुई, और बेहतर निखार सकते आप । लेकिन  आ.श्री…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.मिथिलेश वामनकर साहब,  अतिशय आभार आपका, प्रोत्साहन हेतु !"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"देर आयद दुरुस्त आयद,  आ.नीलेश नूर साहब,  मुशायर की रौनक  लौट आयी। बहुत अच्छी ग़ज़ल…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
8 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
8 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service