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फितरत ए इन्सान ए अजब

आज मुझ पे हसीं इल्ज़ाम लगाया उसने,

मेरे सोते हुए बातिन को जगाया उसने।

मुझसे बोला के ये क्या रोग लगा बैठा है,

धूप निकली है अन्धेरे में छुपा बैठा है?

तुझको दुनिया की जो तकलीफ का हो अन्दाज़ा,

अपनी मायूसियों के खोल से बाहर आ जा।

अपने कमरे से निकलकर जो मैं बाहर आया,

तेज़ सूरज से हर एक शख्स को जलता पाया।

हर तरफ शोर था अब धूप न सह पायेंगे,

गर न बारिश हो तो बेमौत मारे जायेंगे।

बस कबूल अब तो हमारी ये सिफारिश कर दे,

धूप झुलसाती है अल्लाह तू बारिश कर दे।

मैं ये हैरतज़दा सा सोचने लगा यकदम,

अजब इंसान हैं मखलूके खुदा कैसे हम।

ये वही धूप है जिसके लिए तरसे थे कभी,

सर्द मौसम में इसकी आस में रहते थे सभी।

कैसा इंसान है हर वक्त ये रोता जाये,

अपनी उम्मीद के जैसा ही हमेशा चाहे,

वक्त कैसा भी हो चुपचाप मैं सह लेता हूँ,

दर्द कितना भी हो हर हाल में खुश रहता हूँ।

मुझसे बेकार की बातें नहीं देखी जाती,

इसलिए ही तो ये तन्हाई मेरी है साथी।

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Comment

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Comment by इमरान खान on August 9, 2012 at 3:46pm

मुहतरम अम्बरीश साहब बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 8, 2012 at 12:00pm

मुझसे बोला के ये क्या रोग लगा बैठा है,

धूप निकली है अन्धेरे में छुपा बैठा है?

वाह जनाब वाह क्या बात है, दाद कुबूल कीजिये

Comment by Rekha Joshi on August 7, 2012 at 10:04pm

वक्त कैसा भी हो चुपचाप मैं सह लेता हूँ,

दर्द कितना भी हो हर हाल में खुश रहता हूँ।खुबसूरत नज्म पर बहुत बहुत बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 7, 2012 at 7:09pm

'दर्द कैसा भी हो हर हाल में खुश रहता हू', बहु सुन्दर सन्देश भाई इमरान खान जी, बधाई 

Comment by yogesh shivhare on August 7, 2012 at 7:08pm

बस कबूल अब तो हमारी ये सिफारिश कर दे,

धूप झुलसाती है अल्लाह तू बारिश कर दे।.....aameen....bhai ji ...sudnar

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 7, 2012 at 4:13pm

कैसा इंसान है हर वक्त ये रोता जाये,

अपनी उम्मीद के जैसा ही हमेशा चाहे,

वक्त कैसा भी हो चुपचाप मैं सह लेता हूँ,

दर्द कितना भी हो हर हाल में खुश रहता हूँ।

प्रिय     इमरान   जी  बहुत  अच्छा  सन्देश  और  अच्छी  नज्म  .....मुबारक  हो  जनाब  ..अल्लाह   सुनें फ़रियाद और झमाझम बारिस  हो  

भ्रमर ५ 

 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 7, 2012 at 12:11pm

//

वक्त कैसा भी हो चुपचाप मैं सह लेता हूँ,

दर्द कितना भी हो हर हाल में खुश रहता हूँ।//

वाह इमरान जी वाह ......खूबसूरत नज़्म के लिए मुबारकबाद ....

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