For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

आज लगते ही तू लगता है चीखने
"आ ज़ाऽऽऽ दीऽऽऽऽऽऽऽऽ...."
घोंचू कहीं का.
मुट्ठियाँ भींच
भावावेष के अतिरेक में
चीखना कोई तुझसे सीखे .. मतिमूढ़ !

 

पता है ?........
तेरी इस चीखमचिल्ली को
आज अपने-अपने हिसाब से सभी
अपना-अपना रंग दिया करते हैं.. .
हरी आज़ादी.. .सफ़ेद आज़ादी.. . केसरिया आज़ादी...
लाल आज़ादीऽऽऽ..
नीली आज़ादी भी.

 

कुछ के पास कैंची है
कइयों के पास तीलियाँ हैं.. .
ये सभी उन्हीं के वंशज हैं
जिन्होंने तब लाशों का खुद
या तो व्यापार किया था, या
इस तिज़ारत की दलाली की थी
तबभी सिर गिनते थे, आज भी सिर गिनते हैं..

 
और तू.. .
इन शातिर ठगों की ज़मात को
आबादी कहता है
आबादी जिससे कोई देश बनता है
निर्बुद्धि .... !

जानता भी है कुछ ? इस घिनौने व्यापार में
तेरी निर्बीज भावनाओं की मुद्रा चलती है.. ?

********

--सौरभ

Views: 1103

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 17, 2013 at 6:45pm

सादर नत मैं हूँ सखे, कर डाला अति मुग्ध
कविता की  आवाज को,  सुनते आप प्रबुद्ध
सुनते आप प्रबुद्ध, किया  है  अद्भुत वर्णन !
सार हुआ अभिव्यक्त, लगा यों देखा दर्पन
कविता का सुन मर्म, बोलते सार्थक रविकर
रह-रह होऊँ दंग,  महामन,  नत  हूँ  सादर !!

आपका सादर आभार, आदरणीय रविकर भाईजी.. .

Comment by रविकर on August 17, 2013 at 5:57pm

गजब-
सादर वन्दन-

गूढ़ोत्तर स्वातन्त्र्य का, करें शब्दश: पेश |
अजब कश्मकश में दिखे, सचमुच सारा देश |


सचमुच सारा देश, दलाली लाली लाये |
आबादी निर्बुद्धि, जाति सरकार बनाये |


बायल सारे वार, सदा मेहर मूढ़ों पर |
होगा क्या इस बार, खोज रविकर गूढोत्तर ||


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 17, 2013 at 5:23pm

आदरणीया विनीताजी, प्रस्तुत अभिव्यक्ति को सराह कर आपने आम जन की और आम जन के प्रति छटपटाहट को सार्थक स्वर दिया है. आपके अनुमोदन हेतु आपका सादर आभार
शुभ-शुभ

Comment by Vinita Shukla on August 16, 2013 at 11:15am

सच है; आम आदमी को मतिमूढ़ कहना ही उचित होगा. वह वोटों के समीकरण में, फिट होने वाली गोट, राजनीति की बिसात में जातिवाद/क्षेत्रवाद या किसी अन्य वाद का मोहरा, भेड़चाल का शिकार, शातिर हाथों की कठपुतली- यह सब बन सकता है पर लोकतंत्र की शक्ति नहीं, अपना भाग्यविधाता नहीं. वर्तमान परिदृश्य की, इस ज्वलंत विडम्बना का सटीक और प्रभावी चित्रण. बहुत बहुत बधाई आ. सौरभ जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 16, 2012 at 5:38pm

किरण आर्यजी, आपने इस रचना की आत्मा को आत्मसात कर मेरे प्रयास को सराहा है.

हार्दिक धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 16, 2012 at 5:36pm

भाई सूबे सिंह सुजान जी, आपका स्वागत है. रचना को सराहने के लिये हार्दिक धन्यवाद..

Comment by Kiran Arya on September 16, 2012 at 5:22pm

सौरभ जी नमस्कार बहुत सही आकलन

आज आम आदमी के आबादी में तब्दील होने उसकी मानसिकता उसकी कसक सभी भावो को सुंदर और सहज शब्दों में उजागर किया है......... आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा हमें......... 

जानता भी है कुछ ? इस घिनौने व्यापार में
तेरी निर्बीज भावनाओं की मुद्रा चलती है.. ?.......

इन पंक्तियों में सार छिपा है पूरी रचना का..............शुभं 

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 23, 2012 at 10:51pm

वाह क्या ..........शैली है। विचार प्रधान भी । और बातचीत भी।।।

बधाई

Comment by Albela Khatri on August 23, 2012 at 10:46pm

आपकी जय हो महाप्रभु......

वैसे किसी से कहना नहीं,,,,,,,,,सम्मान को लेकर एक बात याद आ गई. एक बहुत ही बुजुर्ग आदमी ने ब्यूटी पार्लर के संचालक  को अपने  सफ़ेद झक बाल  दिखा कर पूछा,  मेरे इन सफ़ेद बालों के लिए क्या कर सकते हो ?  संचालक बोला -  सम्मान के अलावा क्या कर सकता हूँ......हा हा हा हा

बुरा न मानो......होली है  ( इन्तज़ार कौन करे  होली का,  कबीर जी ने कहा है काल करे सो आज कर....हा हा )


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 23, 2012 at 10:25pm

आपका सादर आभार आदरणीय अलबेलाजी,  आप इस शिक्षार्थी को मान देते हैं.

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब, काफ़ी समय बाद मंच पर आपकी ग़ज़ल पढ़कर अच्छा लगा । ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,…"
6 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
23 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service