For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इस तरह दूर वो आजकल हो गई।

जैसे इस शहर की बिजली गुल हो गई।

देह तेरी  किसी  बेल  जैसी लगे,

आई बरसात धुलकर नवल हो गई।

इस तरह रास्ते और लम्बे हुये,

जैसे के मेरी लम्बी ग़ज़ल हो गई।

बेवफा क्या बताऊँ तेरी बाट में,

प्यार की बर्फ पिघली,और जल हो गई।

आम की भोर पर भंवरे जो आ गये

मुस्कुराहट मधुरता  का  फल हो गई।

एक बरसात आई तुम्हारी तरह,

और जोहड में खिल कर कमल हो गई।।

                                      सूबे सिंह सुजान

Views: 538

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 23, 2012 at 9:51pm

SANDEEP KUMAR PATEL........पटेल साहब शुक्रिया....

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 23, 2012 at 9:49pm
Comment by वीनस केसरी on August 23, 2012 at 1:28am

बहुत खूब, सूबे साहब अच्छी ग़ज़ल कही है ...

एक बरसात आई तुम्हारी तरह,

और जोहड में खिल कर कमल हो गई।।

वाह वा क्या कहने ...

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 23, 2012 at 12:43am

satish mapatpuri...जी आपकी राय जान कर मन को तसल्ली हुई की कुछ लिख तो पाया हूँ।

धन्यवाद।

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 23, 2012 at 12:41am

Naval Kishor Soni.....जी बहुत शुक्रिया आपकी प्रतिक्रिया अमूल्य है।

Comment by Naval Kishor Soni on August 22, 2012 at 3:44pm

इस तरह दूर वो आजकल हो गई।

जैसे इस शहर की बिजली गुल हो गई।

देह तेरी  किसी  बेल  जैसी लगे,

आई बरसात धुलकर नवल हो गई--------------wah kya bat hai .

Comment by राजेश 'मृदु' on August 22, 2012 at 1:28pm

बड़ी मीठी गज़ल है, बधाई

Comment by Rekha Joshi on August 22, 2012 at 12:59pm

आम की भोर पर भंवरे जो आ गये

मुस्कुराहट मधुरता  का  फल हो गई।

एक बरसात आई तुम्हारी तरह,

और जोहड में खिल कर कमल हो गई।।अति सुंदर अभिव्यक्ति सूबे सिंह जी ,बधाई 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 22, 2012 at 12:24pm

बेवफा क्या बताऊँ तेरी बाट में,

प्यार की बर्फ पिघली,और जल हो गई।

बहुत खूब साहब

Comment by satish mapatpuri on August 22, 2012 at 2:53am

देह तेरी  किसी  बेल  जैसी लगे,

आई बरसात धुलकर नवल हो गई।

बहुत खूब सुजान साहेब ... बधाई हो

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service