न आइन्दा साथ जाए और न हाल साथ जाए
मैं जहां कहीं भी जाऊं तेरा ख्याल साथ जाए
न मग्रिबको देखता हूँ न मश्रिकको चाहता हूँ
न जनूब मेरी ज़मीं हो, न शिमाल साथ जाए
जो मज़ा है हमको तेरी फ़ुर्कत की सोजिशों में
वो मज़ा कहाँ मयस्सर जो विसाल साथ जाए
ये दुआ है मेरे दिल से कोई बद्दुआ न निकले
न कैदेहस्ती अजल हो कि मआल साथ जाए
चलो इल्तेफात टूटी और गिले भी ख़त्म सारे
न जवाब कोई बाकी और न सवाल साथजाए
ऐ खुदा ऐ मेरे मौला मेरा प्यार मुझसे छीना
तेरे प्यार से ना आगे ये ज़वाल साथ जाए
जिसे तूने खोया बुतथा इक तिफ्लका खिलौना
‘राज़’ ऐसा कब हुआ है, खतोखाल साथ जाए
© राज़ नवादवी
भोपाल, रात्रिकाल ०२.४१, शुक्रवार
२१/०९/२०१२
आइन्दा- भविष्य; हाल- वर्तमान; मग्रिब- पश्चिम; मश्रिक- पूरब; जनूब- दक्षिण; शिमाल- उत्तर; फ़ुर्कत की सोजिशों- वियोग का प्रादाह, जलन; मयस्सर- प्राप्य; विसाल- मिलन; कैदेहस्ती- जीवन का बंदी; अजल- मृत्यु; मआल- परिणाम; इल्तेफात- दोस्ती, मित्रता; जमाल- सौंदर्य, मुखकांति; ज़वाल- अवनति; तिफ्लका खिलौना- बच्चों का खिलौना; खतोखाल- बाह्य आरेखण एवं सौंदर्य.
Comment
आपकी सराहना का हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण जी! साथ ही मतलब को और तफसील से बताना, बहुत मुफीद मालूम होता है.
जिसे तूने खोया बुतथा इक तिफ्लका खिलौना ---सही फरमाया जनाब राज नवादवी साहिब आपने,-
‘राज़’ ऐसा कब हुआ है, खतोखाल साथ जाए क्या अपना, डोर भी उपरवाले खुदा के हाथ में,
है उसकी हीकठपुतली हम उसकी ही -
कब चाहे भेज दे जबचाहे खीच ले, फिर इस-
तिफ्लका खिलौना का क्या खातोखाल जाना या आना
मतलब सिर्फ खुदा के लिए है माने जैसे तिफ्लका खिलौना
हार्दिक बधाई सुन्दर और सारगर्भि अर्थ लिए गजल के लिए |- लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला, जयपुर
सारिका जी, आपका बहत बहुत शुक्रिया गज़ल को पढ़ाने और पसंद करने का !
khoobsurat si gazal ....arth likhne ke liye bahut bahut shukriya
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