For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ३४ (न आइन्दा साथ जाए और न हाल साथ जाए )

न आइन्दा साथ जाए और न हाल साथ जाए

मैं जहां कहीं भी जाऊं तेरा ख्याल साथ जाए

 

न मग्रिबको देखता हूँ न मश्रिकको चाहता हूँ

न जनूब मेरी ज़मीं हो, न शिमाल साथ जाए

 

जो मज़ा है हमको तेरी फ़ुर्कत की सोजिशों में

वो मज़ा कहाँ मयस्सर जो विसाल साथ जाए

 

ये दुआ है मेरे दिल से कोई बद्दुआ न निकले

न कैदेहस्ती अजल हो कि मआल साथ जाए 

 

चलो इल्तेफात टूटी और गिले भी ख़त्म सारे

न जवाब कोई बाकी और न सवाल साथजाए   

 

ऐ खुदा ऐ मेरे मौला मेरा प्यार मुझसे छीना

तेरे प्यार से  ना आगे ये ज़वाल  साथ जाए

 

जिसे तूने खोया बुतथा इक तिफ्लका खिलौना    

‘राज़’ ऐसा कब हुआ है, खतोखाल साथ जाए

 

 

© राज़ नवादवी

भोपाल, रात्रिकाल ०२.४१, शुक्रवार

२१/०९/२०१२

 

आइन्दा- भविष्य; हाल- वर्तमान; मग्रिब- पश्चिम; मश्रिक- पूरब; जनूब- दक्षिण; शिमाल- उत्तर; फ़ुर्कत की सोजिशों- वियोग का प्रादाह, जलन; मयस्सर- प्राप्य; विसाल- मिलन; कैदेहस्ती- जीवन का बंदी; अजल- मृत्यु; मआल- परिणाम; इल्तेफात- दोस्ती, मित्रता; जमाल- सौंदर्य, मुखकांति; ज़वाल- अवनति; तिफ्लका खिलौना- बच्चों का खिलौना; खतोखाल- बाह्य आरेखण एवं सौंदर्य.  

 

Views: 591

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on September 25, 2012 at 9:21pm

आपकी सराहना का हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण जी! साथ ही मतलब को और तफसील से बताना, बहुत मुफीद मालूम होता है.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 25, 2012 at 12:17pm

जिसे तूने खोया बुतथा इक तिफ्लका खिलौना   ---सही फरमाया जनाब राज नवादवी साहिब आपने,- 

‘राज़’ ऐसा कब हुआ है, खतोखाल साथ जाए          क्या अपना, डोर भी उपरवाले खुदा के हाथ में,

                                                                          है उसकी हीकठपुतली हम उसकी ही -

                                                                            कब चाहे भेज दे जबचाहे खीच ले, फिर इस-

                                                                           तिफ्लका खिलौना का क्या खातोखाल जाना या आना 

                                                                            मतलब सिर्फ खुदा के लिए है माने जैसे तिफ्लका खिलौना

हार्दिक बधाई सुन्दर और सारगर्भि अर्थ लिए गजल के लिए |- लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला, जयपुर 

 

Comment by राज़ नवादवी on September 24, 2012 at 2:30pm

सारिका जी, आपका बहत बहुत शुक्रिया गज़ल को पढ़ाने और पसंद करने का !

Comment by Gul Sarika Thakur on September 24, 2012 at 1:52pm

khoobsurat si gazal ....arth likhne ke liye bahut bahut shukriya 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
12 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service