For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ३५ (हस्रतें मरने लगी हैं घर बसानेकी हौले हौले)

निस्बतें यूँ बढ़ीं हमसे ज़माने की हौले हौले

खुलती गईं सब तहें अफ़साने की हौले हौले

 

हस्रतें मरने लगी हैं घर बसानेकी हौले हौले

कीमतें कुछ यूँ बढ़ीं आशियानेकी हौले हौले

 

बस्तियोंमें भी नशा-सा होने लगा है सरेशाम

दीवारें टूटने लगी हैं मयखाने की हौले हौले

 

फर्क मिट गए हस्पतालों और होटलोंके अब

सूरतें बदल गईं हैं शिफाखाने की हौले हौले

 

ये कोई प्यार नहीं हैकि दफअतन हो जाता

आदतें आईं दुनिया से निभाने की हौले हौले

 

गुल हो बालाई पर और ज़मींदोज़ जब तुम

कोशिश करो डाली को झुकाने की हौले हौले

 

चलके आते थे वो लहराते कदम मेरी तरफ 

घंटियाँ बजती थीं मेरे आस्तानेकी हौले हौले

 

दिल को उस्लूब कहाँ उनकी नर्ममिजाजीका 

उसको आएगी अदा प्यार जतानेकी हौलेहौले

 

राज़ कुछ सब्र करो बाज़ीएउल्फतका शिकार

ज़दमें आएगा कभी तेरे निशानेकी हौले हौले

 

 

© राज़ नवादवी

भोपाल, रविवार २३/०९/२०१२

संध्याकाल, ०६.०४ 

 

निस्बत- लगाव, सम्बन्ध; शिफाखाने- दवाखाना, डिस्पेंसरी; दफअतन- अचानक; बालाई पर- ऊंचाई पर; ज़मींदोज़- पृथ्वी के तल पे, भूमिगत; आस्तानेकी- चौखट की, ड्योढ़ी की; उस्लूब- पद्धति, आचरण, ढंग; बाज़ीएउल्फतका शिकार- प्रेम रूपी आखेट का शिकार; ज़द- निशाना, सामना, चोट, मार; 

 

Views: 525

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on September 27, 2012 at 10:58am

जनाब संजय जी, आपकी दाद का बहुत बहुत शुक्रिया, बड़ी हौसलाअफजाई हुई.

Comment by राज़ नवादवी on September 27, 2012 at 10:57am

सीमा जी, बहुत बहुत शुक्रिया आपका,  कोशिश करता हूँ कि बह्र की बंदिशों की तामील करूँ, लयात्मकता बनी रही. वक़्त मिलने पे इसपे भी काम करूंगा, बहुत कुछ बाकी है, ज़िंदगी की मसरूफीयात से बहुत कुछ चुराना है.

- राज़ 

Comment by राज़ नवादवी on September 27, 2012 at 10:52am

शुक्रिया भाई लक्ष्मण जी, आपकी दाद और हर बार की तरह अपने अंदाज़ में की गई शरह के लिए.

Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on September 27, 2012 at 10:38am

बदलते हालत के सही जबाब जी >>>>>>>>>>.धन्यवाद जी .....!!

Comment by seema agrawal on September 26, 2012 at 7:10pm

हस्रतें मरने लगी हैं घर बसानेकी हौले हौले

कीमतें कुछ यूँ बढ़ीं आशियानेकी हौले हौले...जी बिलकुल आखिर पैसा पेड़ पर तो उगता नहीं 

गुल हो बालाई पर और ज़मींदोज़ जब तुम

कोशिश करो डाली को झुकाने की हौले हौले......बहुत खूबसूरत और सही सीख 

राज़ कुछ सब्र करो बाज़ीएउल्फतका शिकार

ज़दमें आएगा कभी तेरे निशानेकी हौले हौले.........बहुत खूब 
राज़ जी मुझे यह तो नहीं पता की गज़ल की कसौटी पर यह खरी है या नहीं पर कहन के लिहाज़ से लाजवाब ....

मुबारकबाद ........

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 26, 2012 at 11:37am

बस्तियोंमें भी नशा-सा होने लगा है सरेशाम    ---- चलो खुश किस्मती हुई अब जनाबे आम  

दीवारें टूटने लगी हैं मयखाने की हौले हौले             गरीबखाना भी बस्तियों में चमन मधुशाला सा 

 फर्क मिट गए हस्पतालों और होटलोंके अब ------   डरता था हस्पताल के नाम से मियाँ मै तो 

सूरतें बदल गईं हैं शिफाखाने की हौले हौले              शिफखाने को होटल सा जान चले आए होले होले 

 ये कोई प्यार नहीं हैकि दफअतन हो जाता -------    दफअतन हो जाता वो दफअतन ही काफूर भी होता 

आदतें आईं दुनिया से निभाने की हौले हौले             शुक्रियां जो आदते आई दुनिया से निभाने की होले होले

शुक्रया राज नवा दावी भाई जो आपने सरूर चढ़ाया 

समझे  न समझे मगर लुफ्त उठाए पढ़ कर होले होले  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शकूर जी नमस्कार  बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गिरह ज़बर्दस्त…"
2 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"//वेदना तुम से विरह की एक पल भूले नहींकिन्तु नव सम्बन्ध हम स्वीकार भी करते रहे// हासिल-ए-ग़ज़ल शेर !…"
21 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"ग़़ज़ल पर संभावित प्रश्नों को विचार में लेते हुए मेरे विचार प्रस्तुत हैं।  खुद ही अपनी…"
45 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी आपकी आपत्ति का संज्ञान ले लिया गया है. सभी देवताओं को किसी ने व्यभिचारी नहीं कहा…"
48 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वाह! ख़ूब ! ख़ूब! बहुत ख़ूब! शानदार ग़ज़ल कही आपने आदरणीय शिज्जू शकूर साहब। गिरह सहित सभी शेर असरदार…"
49 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. दयाराम जी,बहुत खूब ग़ज़ल हुई है ..इस्लाह जैसा कुछ भी नहीं है किन्तु दो चार बारीक बातें प्रस्तुत…"
55 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी.मलते में नेता मिल के भ्रष्टाचार करते हैं लेकिन असल में ऐसा होता नहीं. वो अपनी अपनी बारी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"निडर होने का मतलब वृहत समुदाय की भावनाओं को आहत करना तो नहीं ही हो सकता है। आप के इस शेर से मुझे…"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, एक अच्छी ग़ज़ल से मुशायरे को शुरुआत दी आपने। लगभग सभी शेर अच्छी कहन में हैं,…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"धन्यवाद आ. अजय जी व्यभिचार भी यह कहीं प्रतीत नहीं होता की हमेशा करते रहे ..लेकिन व्यभिचार…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आभार आ. तिलकराज सर "
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service