वो कॉलेज की दुनिया
दोस्तों का फ़साना
बड़ा याद आता है
कॉलेज का जमाना .........
सब दोस्तों का इंतजार करना
थोडा लेट होने पर भी
कितना झगड़ना
सुबह- सुबह पहली क्लास में
सबसे आगे पहली बेंच पर बैठना
कितना याद आता है
लास्ट लेक्चर में थ्योरी सुनते- सुनते
चुपके से सो जाना .........
वो कॉलेज की दुनिया
दोस्तों का फ़साना ..............
वो मोटी-मोटी सी किताबे
अकाउन्ट्स की भाषा
आँखों में पलते बड़े बड़े सपने
मगर फिर भी करते थे हमेशा
टीचर्स के छुट्टी कर लेने की आशा
बड़ा याद आता है
वो बंक मारकर restaurants में जाना
वो कॉलेज की दुनिया
दोस्तों का फ़साना ..............
वो लाइब्रेरी में जाकर
किताबे पढना
"चुपचाप बैठकर पढ़े" पढ़कर भी
धीरे धीरे से बाते करना
बड़ा याद आता है
सिर्फ I card को एक्टिव रखने के लिए
किताबे issue करवाना
वो कॉलेज की दुनिया
दोस्तों का फ़साना ..............
वो किसी एक की नाराजगी
और सबका मनाना
किसी एक के न आने पर
सबका छुट्टी पर जाना
बड़ा याद आता है
घर पर सबका पूछना और
" आज पढाई नही होगी "
"प्रोग्राम है कॉलेज में"
कह कर पीछा छुड़ाना
वो कॉलेज की दुनिया
दोस्तों का फ़साना ..............
वो सर्दियों की धूप में
कॉलेज ग्राउंड में बैठना
बाते करते-करते वो छोटी छोटी
घास का उखाड़ना
बड़ा याद आता है
वो ग्रुप में बैठकर
हर आने जाने वाले पर कमेन्ट पास करना
वो कॉलेज की दुनिया
दोस्तों का फ़साना ..............
वो exam के दिनों में
बार बार डेट -शीट चेक करना
Exam शुरू होने से पहले ही
ख़त्म होने पर क्या क्या करेंगे
ये सपने देखना
वो exam hall में एक दम शांत बैठना
मौका मिलते ही लेकिन
दायें - बाएं झांकना
बड़ा याद आता है
"बस यार ये बता दे"
"बस एक दो पॉइंट बता दे"
"यार हिंट दे दे बस "
ये कह- कह कर सबका परेशान करना
वो कॉलेज की दुनिया
दोस्तों का फ़साना ..............
वो teachers के Instructions को follow करना
दो दिन टाइम पर क्लास जाना
और फिर ये कह कर कि देखा जायेगा
फिर से क्लास में लेट जाना
वो कॉलेज competition में
कवितायेँ सुनाना
थोड़ी सी प्रसंशा पर भी
कितना खुश होना
बड़ा याद आता है अब
वो कॉलेज का जमाना
वो कॉलेज की दुनिया
दोस्तों का फ़साना ..............
Comment
याद आता है वो जमाना
बीते दिनों को न भूल जाना
बहुत खूब.
aap sab ka rachna ko pasand krne k liye dil se shukriya...........thanks a lot.......
Good morning Prachi mam
I agree with u.............. abhi bahut sikhna hai mujhe..........bas aap yu hi aashirvad bnaye rakhiyega..........
apnatave bhari pratikriya ke liye bahut bahut shukriya...........
कालेज के दिनों का सजीव चित्रण | बहुत बहुत बधाई .....शिल्प व प्रवाह आदि के मामले में डॉ० प्राची से पूर्णतः सहमत ....
really yaar apne to school or college ki yaad dila di sach ... its nice blog...
बहुत खूब एक साल पहले मैंने भी इक ऐसी ही रचना लिखी थी
वो इक इक लम्हा बेशकीमती है
उस समय में लेखन के शुरआती दौर में था
पेश कर रहा हूँ शायद आपको अच्छी लगे
"बड़ा याद आता है गुजरा जमाना"
वो दिन भी याद आते है
और हंसा जाते है
कभी रुला जाते है
वो मस्ती रातों की
वो चाय की प्याली
वो स्टेशन की थाली
वो यारों की गाली
कभी तो सुहाना मौसम
कभी सारी रात काली
वो यारों का मिलना
वो दिल से गले लगाना
वो पी के बहकना
वो थाली पे गिरना
वो राहों पे नचना
याद आता है कितना
वो पीठ पे हाथ उसका
कहना आराम से
वो घर से महीने मैं पैसे मंगाना
और दो दिन मैं सारी उधारी चुकाना
कल ही तो दिए थे
अगले दिन फिर उधारी मंगाना
कोई पूछे तो जन्नत बता दूं उसे
बड़ा याद आता है गुजरा जमाना
वो भी क्या दिन थे
वो केन्टीन का शोर
वो चुटकुलों का दौर
वो शुक्ला जी की बातें
वो दादागिरी की बातें
वो बातों ही बातों मैं खुद को गुंडा बताना
बड़ा याद आता है गुजरा जमाना
वो रोज रोज की मुलाकातें
वो यारों की इश्क की बातें
वो पानी चढ़ाना
वो कुत्तों को सताना
वो फिल्मो का दौर
वो सारे गाने खुद ही गाना
बड़ा याद आता है गुजरा जमाना
कभी किसी से रूठना
और कभी उसी को मनाना
बना लेना उसका फिर नया बहाना
बड़ा याद आता है गुजरा जमाना
वो फोने पे पढाई
वो दिन मैं लड़ाई
वो रिजल्ट का आना
वो पास होना फ़ैल होना
वो फ़ैल होने पे भी पार्टियाँ
वो पास होने की खुशियाँ
कंही हसना कंही रोना
बड़ा याद आता है गुजरा जमाना
वो जन्मदिन की मार
वो मित्रों का प्यार
वो केक का अक्सर दीवारों पे मिलना
वो चहरे पे सबकी खुशियों को पढना
वो मोमबत्ती के जगह सिगरेट जलाना
वो एक ही थाली मैं है सबको खाना
बड़ा याद आता है गुजरा जमाना
वो लाठी चार्ज मैं दोस्तों का पिटना
वो जख्मो को छूना और आह भरना
आह बड़ा दर्द हो रहा होगा भाई
वो झल्ला के उसका गुस्सा दिखाना
वो हस के फिर अपने पीड़ा छुपाना
बड़ा याद आता है गुजरा जमाना
वो जब से हैं बिछड़े सब बदल गया है
कोई कहने लगा है वो सम्हल गया है
कभी कोई दस्तक देता है जब भी
तो याद आते है वो चेहरे
वो अपने वो गैर वो भाई वो शेर
ना जाने वक़्त ने एक धूल जमा दी है
पर आँखे नम हो जाती है जब याद आती है
किसे नसीब हो अब ऐसा याराना
बड़ा याद आता है गुजरा जमाना
आपका
सन्दीप पटेल
९ जून २०११
कॉलेज का वो ज़माना याद आता है ............सबके दिल की बात कही आपने सोनम ...
पर प्राची के बात भी याद रखिये और उस पर भी ध्यान दीजिये तो ये याद और रसमय हो जायेगी
पुरानी बातें स्कूल ,कालेज की बातें कभी भुलाए नहीं भूलती बढ़िया प्रस्तुति
तत्समय की यादों को ताजा करने के लिए बधाई
वाह वाह प्रिय सोनम सैनी जी.. बहुत खूब कॉलेज की यादें शेयर कीं आपने, मुझे भी कॉलेज पहुंचा दिया.. मन के भावों को जस का तस, सच्चाई के साथ अभिव्यक्त करने के लिए हार्दिक बधाई.
यह तो थी भावों की बात, जहां यह कविता एकदम मन में उतर जाती है, पर एक कविता का यदि शिल्प देखें, प्रवाह देखें, या कसाव देखें तो यह रचना अभी बिलकुल मज़बूत नहीं है. बस थोड़ी सा और वक़्त दे कर इस भाव सम्प्रेषण को अत्यंत प्रभावी व रोचक बनाया जा सकता है. उम्मीद है आप अपनी अभिव्यक्ति को और निखारने का प्रयास निरंतर करके अपनी रचनाओं को आवश्यक सुगढ़ता जल्दी ही देने में सफल होंगी.
हार्दिक शुभकामनाएं.
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