गाँव की विधवाओं को सरकार की ओर से सहायता राशि वितरित की जा रही थी. तभी एक नौजवान विधवा अपने हिस्से की धनराशि लेने मंच की ओर बढ़ी, जिसे देख नेता जी ने सरपंच के कान में धीरे कहा,
"ये लड़की कौन है ?"
"ये नंदू लुहार की बहू है नेता जी."
"अरे भई इसको तो बाकियों से ज्यादा पैसा मिलना चाहिए था."
"वो क्यों नेता जी ?"
"अरे मुखिया जी, ज़रा बॉडी तो देखिए ससुरी की."
Comment
लघुकथा आपको पसंद आई, दिल से आभार व्यक्त करता हूँ माननीया मीना पाठक जी.
आखरी पंक्ति दिल पर गोली की तरह लगी, ना जाने कब छुटकारा मिलेगा देश को ऐसे नेताओं से ....बेहद कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया आप ने, प्रभावपूर्ण लघुकथा के लिए नमन करती हूँ आप को .. बधाई स्वीकारें आदरणीय
लघुकथा पसंद करने हेतु सादर आभार अग्रज लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी.
"अरे मुखिया जी, ज़रा बॉडी तो देखिए ससुरी की." इस एक वाक्य ने शेष अनकही कहानी कह दी | वाह !
गागर में सागर की कहावत को चरितार्थ करती सुन्दर लघुत्तम कहानी | इससे नेताजी का चरित्र सामने आ गया | ऐसी प्रभावपूर्ण लघु कहानी की लिए हार्दिक आभार स्वीकारे श्री योगराज प्रभाकर जी | सादर
गीतिका जी, आपको लघुकथा पसंद आई, मेरा श्रम सार्थक हुआ. सादर धन्यवाद.
लघुकथा पसंद करने के लिए दिल से आभार वसुंधरा बहन.
सादर धन्यवाद श्री अरविन्द अम्बर जी
प्रभावोत्पादक लघु कथा प्रस्तुति करण|
न कुछ कम न ज्यादा, संतुलित रचना|
और विषय जो उठाया गया है अटूट पीर और सच्चाई भरा है|
नमन आपकी लेखनी को आदरणीय योगराज जी!
उफ्फ...ये हैं अभी तक भी अपने समाज की सेवायें...
लघु कथा बेहद भायी..गागर में सागर है समाई...
samsamaayik sajeev chitran..........waaaaaaaaaaaah
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online