ऐ मेरे प्रांगण के राजा
क्यूँ तुम ऐसे मौन खड़े
झंझावत जो सह जाते थे
जीवन के वो बड़े बड़े
क्यूँ तुम ऐसे मौन खड़े ?
बरसों से जो दो परिंदे
इस कोतर में रहते थे
दर्द अगर उनको होता
तेरे ही अश्रु बहते थे
उड़ गए वो तुझे छोड़ कर
अपनी धुन पर अड़े अड़े
क्यूँ तुम ऐसे मौन खड़े ?
इस जीवन की रीत यही है
सुर बिना संगीत यही है
उनको इक दिन जाना था
जीवन धर्म निभाना था
राजा जनक भी खड़े रह गए
आंसू नयन से झड़े झड़े
क्यूँ तुम ऐसे मौन खड़े ?
इकला ही है आना- जाना
चंद दिनों का है ठिकाना
जीवन के इस रंग मंच पर
आकर बस किरदार निभाना
कुम्भकार की माटी जैसे
बनते मिटते सभी घड़े
क्यूँ तुम ऐसे मौन खड़े ?
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Comment
आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी आपको रचना पसंद आई उत्साह वर्धन हेतु बहुत बहुत आभार
ऐ मेरे प्रांगण के राजा
क्यूँ तुम ऐसे मौन खड़े
झंझावत जो सह जाते थे
जीवन के वो बड़े बड़े
क्यूँ तुम ऐसे मौन खड़े ?
सुन्दर भावनात्मक रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें आद. राजेश कुमारी जी.
शुक्रिया आपका आदरणीया राजेश जी, //बात बस लिखते लिखते कह डाली, चाय पीते पीते ज्यूँ सिसकती है प्याली// सादर!
//रिश्ते ओ किर्दार कुछ ऐसे गुज़रते जाते हैं, मैं इक साकिन ज़मीं हूँ, अफ्लाक के अहाते हैं!//---वाह!! क्या बात कही है
क्या बात है,
//दिलसे भी है पोशीदा मेरी डायरी,
हाय संगीन-ओ-संजीदा मेरी डायरी //
सच कहा आपने, यादों के ताने बाने में ज़िंदगी के फ़साने को लिखा है हमने. जो कहा हमने वो न सुना आपने, जो न लिखा वो पढ़ा है आपने.
//रिश्ते ओ किर्दार कुछ ऐसे गुज़रते जाते हैं, मैं इक साकिन ज़मीं हूँ, अफ्लाक के अहाते हैं!//
- राज़ नवादवी
राज़ नवद्वी जी हार्दिक आभार आपको रचना पसंद आई वास्तव में ये रचना बहुत पुरानी है आज कल में ही मैं अपनी डायरी देख रही थी तो नजर पड़ गई इस रचना पर ये तब लिखी थी जब मेरी बेटी विवाह के बाद विदा हो गई थी और बेटा होस्टल लौट गया था अपने पति की आँखों में पहली बार आंसू देखे थे तब व्यथित मन से एक दिन लिखी थी
//ऐ मेरे प्रांगण के राजा, क्यूँ तुम ऐसे मौन खड़े// वृक्ष को किया गया ये संबोधन बहुत ही पसंद आया, वैसे सम्पूर्ण रचना ही सुब्दर है, बधाई हो आदरणीया राजेश जी!
आदरणीय सौरभ जी ह्रदय से आभारी हूँ मेरी रचना को मान दिया आपने
कुम्भकार की माटी जैसे
बनते मिटते सभी घड़े
आदरणीया राजेश कुमारीजी, आपकी प्रस्तुत कविता में निहित भावों से हृदय भर गया. हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
आदरणीय रेखा जी आपको रचना पसंद आई हार्दिक धन्यवाद
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