For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहा सलिला: सूत्र सफलता का सरल --संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:

सूत्र सफलता का सरल

संजीव 'सलिल'
*
सूत्र सफलता का सरल, रखें हमेशा ध्यान।
तत्ल-मेल सबसे रखें, छू लें नील वितान।।
*
सही समन्वय से बने, समरस जीवन राह।
सुख-दुःख मिलकर बाँट लें, खुशियाँ मिलें अथाह।।
*
रहे समायोजन तभी, महके जीवन-बाग़।
आपस में सहयोग से, बढ़े स्नेह-अनुराग।।
*
विघटन ईर्ष्या द्वेष का, रखें हलाहल दूर।
वैमनस्यता से मिटे, सुख-समृद्धि का नूर।।
*
धूप-छाँव से ही बने, जग-जीवन संपूर्ण।
सुख-दुःख सह सम भाव से,जीवन हो परिपूर्ण।।
*
रिश्ते-नाते जोड़ते, दिल- तोड़े भ्रम-भ्रान्ति।
जड़ मकान जीवंत घर, बन देता सुख-शांति।।
*
सहनशीलता से बने, हर मुश्किल आसान।
धैर्य क्षमा सहयोग से, आदम हो इन्सान।।
*
गिर-उठ, आगे बढ़ 'सलिल', हँसकर सह हर चोट।
जो औरों को चोट दे, उसमें भारी खोट।। 
*
भूल न खुद की भूलना, होगा तभी सुधार।
भूल और की भूलना, तभी बढ़ेगा प्यार।।
*
दुःख देकर खुद भी दुखी, मत हो कर तकरार।
सुख देकर होते सुखी, सज्जन भले उदार।।
*
तन-मन में हो मेल तो, बढ़ती है बल-बुद्धि।
दिल-दिमाग के मेल को, खो देती दुर्बुद्धि।।
*
दुनिया के हालात को, जो सकता है मोड़।
मंजिल दूर न जा सके, उसे अकेला छोड़।।
*
तर्क-भावना में रहे, जब आपस में मेल।
हर मुश्किल आसान हो, बने ज़िन्दगी खेल।।
*
क्या लाया, क्या ले गया, कोई अपने साथ।
रो आया, हँस जा 'सलिल', उन्नत रखकर माथ।।
*
कर सबका सम्मान तू, पा सबसे सम्मान।
गुण औरों के सराहे, 'सलिल' सदा गुणवान।।
*
हर बाधा स्वीकार कर, करें पूर्व अनुमान।
सुनियोजित कोशिश करें, लक्ष्य सकें संधान।।
*
सौदेबाजी से नहीं, निभ पाते सम्बन्ध।
स्वार्थों के अनुबंध ही, बन जाते प्रतिबन्ध।।
*
कभी किसी इन्सान को, मत मने सामान।
जो शोषक शोषण करे, वह नर भी हैवान।।
*
रखिए श्रम-विश्राम में 'सलिल' उचित अनुपात।
भूख बिना मत कीजिए, भोजन- हो उत्पात।।
*
सही-गलत का आकलन, खुद करते मतिमान।
सबके लिए विकास-पथ, दिखलाते विद्वान।।
*
करिए तर्क-वितर्क पर, सुलझा लें मतभेद।
तज कुतर्क, पनपे नहीं, आपस में  मनभेद।।
*
नियम प्रकृति के पालिए, करें शिष्ट व्यवहार।
सरल तरल निर्मल रखें, दृष्टि- न मानें हार।।
*
करे भूल स्वीकार जो, वह ही सके सुधार।
सत्यवान शुचि शांत हो, रखे शुद्ध आचार।।
*
त्यागी-परमार्थी बनें, करें आत्म-पहचान।
तुझमें जो प्रभु बसे हैं, सबमें उनको जान।।
*
जप-तप, पूजन-प्रार्थना, दया-दान शुभ कर्म।
बिन फल-आशा कर 'सलिल', सत्य-साधना धर्म।।
******
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
0761 2411131 / 094251 83244

Views: 682

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on October 17, 2012 at 9:55am

भूल न खुद की भूलना, होगा तभी सुधार।
भूल और की भूलना, तभी बढ़ेगा प्यार।।

बहुत सुन्दर , हार्दिक बधाई  आ सलिल जी.

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 17, 2012 at 9:20am

विघटन ईर्ष्या द्वेष का, रखें हलाहल दूर।
वैमनस्यता से मिटे, सुख-समृद्धि का नूर।।

बहुत सुन्दर संदेश देते दोहों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें आद.आचार्य सलिल जी.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 16, 2012 at 12:42pm

आदरणीय सलिल सर जी सादर प्रणाम

बहुत सुन्दर दोहे रचें हैं आपने
सच कहा सफलता का सूत्र
बधाई स्वीकार कीजिये सर जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 16, 2012 at 10:01am
सूत्र सफलता का सरल, सलिल ही समझाय.
करो मित्रता लक्ष्मण से, गर तुमको भा जाय |
 
आभारी है आपके, सुन्दर दोहे लाय,
बधाई स्वीकार करे,राह  देय दिखाय | 
 
 सदाचार सोपान के,  दोहे हमको भाय, 
लक्ष्मण साधुवाद कहे, शीश तुम्हे नवाय |

 

Comment by satish mapatpuri on October 15, 2012 at 11:53pm

सुन्दर दोहावली के लिए बधाई आदरणीय सलिल जी

Comment by वीनस केसरी on October 15, 2012 at 11:30pm

वाह आदरणीय
इन सात्विक दोहों के लिए बारम्बार बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service