कजरी गीत:
गौरा वंदना
संजीव 'सलिल'
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गौरा! गौरा!! मनुआ मानत नाहीं, दरसन दै दो रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! तुम बिन सूना है घर, मत तरसाओ रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! बिछ गये पलक पाँवड़े, चरण बढ़ाओ रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! पीढ़ा-आसन सज गए, आओ बिराजो रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! पूजन-पाठ न जानूं, भगति-भाव दो रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! कुल-सुहाग की बिपदा, पल में टारो रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! धरती माँ की कैयाँ हरी-भरी हो रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! लोभ-द्वेष महिषासुर, मार भगाओ रे गौरा!
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गौरा! गौरा!! पान-फूल स्वीकारो, भव से तारो रे गौरा!
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Acharya Sanjiv verma 'Salil'
Comment
संजीव सलिल जी इस सुन्दर गौरा वंदना के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं |
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