For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विचित्र किन्तु...: 'आत्मा' का वजन सिर्फ 21 ग्राम

विचित्र किन्तु ...:

'आत्मा' का वजन सिर्फ 21 ग्राम !

 

इंसानी आत्मा का वजन कितना होता है? 

 

इस सवाल का जवाब तलाशने के लिये 10 अप्रैल 1901 को अमेरिका के डॉर्चेस्टर में एक प्रयोग किया गया। डॉ. डंकन मैक डॉगल ने चार अन्य साथी डॉक्टर्स के साथ प्रयोग किया था।

इनमें 5 पुरुष और एक महिला मरीज ऐसे थे जिनकी मौत हो रही थी। इनको खासतौर पर डिजाइन किये गये फेयरबैंक्स वेट स्केल पर रखा गया था। मरीजों की मौत से पहले बेहद सावधानी से उनका वजन लिया गया था। जैसे ही मरीज की जान गई वेइंग स्केल की बीम नीचे गिर गई। इससे पता चला कि उसका वजन करीब तीन चौथाई आउंस कम हो गया है।

ऐसा ही तजुर्बा तीन अन्य मरीजों के मामले में भी हुआ। फिर मशीन खराब हो जाने के कारण बाकी दो को टेस्ट नहीं किया जा सका। साबित ये हुआ कि हमारी आत्मा का वजन 21 ग्राम है। इसके बाद डॉ. डंकन ने ऐसा ही प्रयोग 15 कुत्तों पर भी किया। उनका वजन नहीं घटा, इससे निष्कर्ष निकाला कि जानवरों की आत्मा नहीं होती।

फिर भी इस पर और रिसर्च होना बाकी थी लेकिन 1920 में डंकन की मौत हो जाने से रिसर्च वहीं खत्म हो गई। कई लोगों ने इसे गलत और अनैतिक भी माना। इस पर 2003 में फिल्म भी बनी थी। फिर भी सच क्या है ये एक राज है।

 

******

Views: 5503

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shalini kaushik on October 25, 2012 at 9:09pm

और ये राज़ ही रहेगा .

Comment by राज़ नवादवी on October 25, 2012 at 8:11pm

आत्मा दरअसल एक ही है. विभिन्न जीवों अजीवों में जो पृथक महसूस होती है वही अज्ञान है अर्थात अस्तित्व के एक निश्चित/भौतिक आयाम में साधारणतः मौलिक ऐक्य का अनुभव नहीं होता जब तक कि इसके लिए विशिष्ट प्रयास न किए जाएँ. आत्मा के बिना किसी का भी अस्तित्व नहीं है, यही मोटी बात है. फ़र्ज़ करें कि एक दरिया है और उसमें कई पीपे डूबे हैं. दरिया परमात्मा है, पानी आत्मा है, और दरिया के पानी से भरा पीपा जीव. पीपा टूटता है तो अंदर का पानी वापस दरिया के पानी में मिल जाता है. ये मोक्ष है. पर साधारण मृत्यु पीपे का टूटना नहीं है. मोक्ष से पहले ये पीपा नहीं टूटता, एक बुनियादी सुपर स्ट्रक्चर पे एक जन्म से दूसरे जन्म तक अलग अलग पीपे बनते रहते हैं. सदगुरू के शरण के अलावा और उसकी कृपा के बगैर सारी बातें बेकार हैं. 

Comment by seema agrawal on October 24, 2012 at 10:57pm

बहुत रोचक जानकारी 
पर आत्मा के वजन की बात पर थोड़ी सी बुद्धी बिना वजह अपनी भी घुसा रही हूँ ..क्या ये वजन उस वायु का नहीं होगा जो एक जीवित शरीर inhale किया हुआ होता है  या रक्त के  प्रवाह से बनने वाला भार  का ,जो  मरते ही शरीर से समाप्त हो जाता है 

वैसे ये मेरी जिज्ञासा ही है कोई प्रयोग मैंने नहीं किया इस तरह का ...बात चली तो सोचा चलो पूछने में क्या जाता है 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 24, 2012 at 9:01pm
बहुत ही रोचक जानकारी, साथ ही अनुत्तर प्रश्न | विज्ञानं अभी तक आत्मा पर सत्य की 
खोज नहीं कर पाया है | आत्मा तो जानवर और पेड़ पौधों तक में पायी जाती है ऐसा 
हमारी शास्त्रीय धारणाए है |

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 24, 2012 at 8:50pm

रोचक जानकारी...कुत्तों में आत्मा नहीं होता पढ़कर हँसी भी आई |

Comment by राज़ नवादवी on October 22, 2012 at 8:39am

आदरणीय संजीव वर्मा जी, आपका लेख पढ़ा. दरअसल आत्मा तो बहुत बाद की चीज़ है जहाँ तक पहुँचना एक सार्वभौम और आत्यंतिक लक्ष्य है.. भौतिक स्थूल शरीर के नीचे या यूँ कहें कि अंदर कई अन्य शरीर हैं जैसे कि सूक्ष्म (astral), कारण (causal), महाकारण (super causal), इत्यादि. मृत्यु के तत्पश्चात हम जिस शरीर में होते है वो सूक्ष्म शरीर ही है जो प्रकाश बे बना है और सही अर्थ में में स्थूल है क्यूंकि प्रकाश भी वस्तुतः स्थूल है. मरे हुए लोग अक्सरहा सफ़ेद दिखते हैं क्यूँकि प्रकाश सफ़ेद होता है. सूक्ष्म शरीर का कुछ वज़न हो, ये बात एक स्तर पे तो फिर भी स्वीकार्य हो सकती है, आत्मा के वजन की बात दो भिन्न आयामों के अस्तित्वों के एक आयामी चिंतन का परिणाम है. काव्य तक तो सही है जैसे 'खुशबूओं के घरौंदे, या आशाओं की वीथिका, या फिर अहसासों का भंवर. मगर वस्तुनिष्ठ सनदअंदेशी चिन्तना के लिए यह आवश्यक है कि अभिप्रेय आयामों की परिधि पहले तय कर ली जाए और उनमें परिचालित नियमों की अन्वेषणा और पहले भी. और फिर ये भी कि इस विशिष्ट चिंतना की अपनी परिधि क्या है.

नींद में हम मीलों सफर कर लेते हैं, मगर सुबह बिस्तर पे ही पड़े होते हैं. जीवन में आत्मा, परमात्मा, परलोक, ईश्वर इत्यादि बोधों के सृजन और निर्माण में अक्सरहा हमारे समाजीकरण की प्रक्रियाओं का बड़ा हाथ होता है. विज्ञान से आगे का विज्ञान योग है और तर्कानुगत युक्तिसंगत ज्ञान से आगे का ज्ञान आत्मसाक्षात्कार जन्य आत्मानुभव है. फकीरों, संतों, एवं सदगुरुओं ने हमेशा दिखनेवाले बहु आयामी जीवनों के अयथार्थ और यथार्थ के न दिखने वाले आयाम विहीन जीवनों के सत्व की ओर इशारा किया है.

सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 21, 2012 at 6:54pm

बहुत रोचक जानकारी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service