बावरिया हो भागती, सजनी ज्यों पिय ओर l
दीवानी मीरा बनी, थाम कन्हैया डोर ll
थाम कन्हैया डोर, प्रेम में सुध बुध हारी l
मोहबंध सब त्याग, पुकारूँ बस गिरधारी ll
प्राण भक्ति में लीन, ओढ़ चूनर केसरिया l
प्रभु संग मधुर मिलन, हुई जोगन बावरिया ll
*********************
Comment
आदरणीय फूल सिंह जी हार्दिक आभार
मुझे अच्छी लगी
बधाई.
प्राची जी प्रणाम.......
सुंदर अतिसुंदर भावपूर्ण रचना ......"सपरिवार सहित आपको शुभ दीपावली"
फूल सिंह
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी,
इस रचना के भावों की शुद्धता और गहनता को अनुमोदित करने हेतु आपकी हृदय से आभारी हूँ. सादर.
शिल्पगत चर्चा पर आपका कथन बहुत सार्थक और लाभप्रद है..हार्दिक आभार.
आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लाडिवाला जी यह कुण्डलिया पसंद करने के लिए आभार. टिप्पणियों के माध्यम से लेखन के सूक्ष्मतम रहस्य भी साँझा होते हैं, इसलिए उनको ध्यान पूर्वक पड़ना रचनाकारों के लिए बहुत लाभप्रद होता है.
सुन्दर दोहा-रोला और साथ ही सीमाजी की टिप्पणियों से प्राप्त लाभप्रद जानकारी के लिए आभार स्वीकारे
//प्रभु संग मधुर मिलन, हुई जोगन बावरिया//
कितनी अद्भुत, साथ ही कितनी धुर विरोधी चिर संयुज्य भावनाएँ शब्दाकार ले रही हैं ! सर्वोच्च सम्मिलन की सर्वोत्तम परिणति जोगन (योगिनी का अप्रभंश) के भाव की वाहक ! ’वहाँ’ हो कर न होने का चिरंतन भाव. ’प्राप्ति’ के प्रति कैसी निर्लिप्तता. वाह ! ऐसे उत्कृष्ट विचारों का होना ही हमारी संस्कृति द्वारा निर्धारित सम्बन्धों का उन्नत स्वरूप है.
शिल्प पर टिप्पणियों के माध्यम से हुई चर्चा समीचीन है. मिलन को ग़ज़ल के अरुज़ के अनुसार १ २ यानि लघु-गुरु का रूप देना उचित नहीं, चाहे उच्चारण का आवरण ही क्यों न लिया जाय.
शुभ-शुभ
आदरणीया सीमा जी, आप बिलकुल सही कह रही हैं, शब्दों को आगे पीछे करने से आपके द्वारा बताये रूप //मधुर मिलन प्रभु संग,हुई जोगन बावरिया // में प्रवाह उचित लग रहा है. हार्दिक आभार.
आदरणीय इ. वीर प्रकाश जी , इस रचना का अनुराग आप तक संप्रेषित हुआ, आपकी आभारी हूँ. सादर.
प्राची मुझे लगता है बहुत ज्यादा परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है
प्रभु संग मधुर मिलन, हुई जोगन बावरिया ll//को मधुर मिलन प्रभु संग,हुई जोगन बावरिया करने से यह ठीक हो जाएगा
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online