For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चौंच में लेकर तिनका ( कुण्डलिया )

लेकर तिनका चौंच में ,चिड़िया तू कित जाय
नीड महल का छोड़ के , घर किस देश बसाय
घर किस देश बसाय ,सभी सुख साधन छोड़े
ऊँची चढ़ती बेल , धरा पे वापस मोड़े
देख बिगड़ते बाल, माथ मेरा है ठनका
जाती अपने गाँव , चौंच में लेकर तिनका
***************************************
(अपने एक ख़याल के ऊपर बनाई यह कुंडली )
चोँच में तिनका ले जाती हुई चिड़िया से पूछा अब क्यों घर बदल रही हो तुम तो उस महल के रोशनदान में कितनी शानो शौकत से रहती हो तो वो बोली वहां मेरे बच्चे बिगड़ रहे हैं अपनी औकात भूल रहे हैं!!

Views: 690

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 20, 2012 at 10:02am

राजेश कुमारी जी सादर नमस्कार!   कुंडली के माध्यम से आपने  इतने विस्तृत और  मार्मिक भाव को बड़ी सहजता से  बाँधा है जो काबिले तारीफ है दिली मुबारक बाद कुबूल करें ! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2012 at 9:20pm

अशोक कुमार रक्ताले जी आपको कुंडलिया पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ 

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 19, 2012 at 9:01pm

आदरेया राजेश कुमारी जी 

                                सादर, बहुत सुन्दर कुंडलिया एक दम मार्मिक भाव और अपनेपन की मिठास. आपने इस ख़याल को तो बहुत ही सुन्दर छंद में ढाला है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 18, 2012 at 12:05pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आपको कुंडली पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 18, 2012 at 11:54am

हृदय भाव को सुगढ़ता से छंदबद्ध करने के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीया राजेश कुमारीजी. 

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 18, 2012 at 10:46am

आदरणीय सौरभ जी के साथ और लोगों ने भी ये इच्छा प्रकट  की थी की इन खयालो को छंद बद्ध करके देखूं सो चेष्टा की बाकी पर  भी प्रयास करुँगी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 18, 2012 at 10:44am

प्रिय प्राची जी आपको कुंडली में परिवर्तित मेरा ख्याल पसंद आया बस मुझे और क्या चाहिए हार्दिक आभार आपका 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 18, 2012 at 10:38am

एक ख़याल को छंद में ढालने से  गज़ब का भाव और प्रवाह उमढ रहा है. बहुत सुन्दर कुण्डलिया आदरणीया राजेश जी 

हार्दिक बधाई इन भावों पर और इस सुन्दर प्रस्तुति पर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 18, 2012 at 9:14am

मोहिनी  जी आप ने सही कहा हम माता पिताओं को ही बच्चों के प्रति सचेत रहना है उनमे अच्छे संस्कार भरने हैं झूठे दिखावे की जिन्दगी से दूर रखना है हार्दिक आभार मेरी कुंडलियाँ की इतनी सुन्दर समीक्षा के लिए 

Comment by mohinichordia on November 18, 2012 at 8:49am

बच्चों में संस्कार भरने के लिये शान -ओ शौकत छोड़ वापस लौटना भी पड़े तो अच्छी सोच ही कही जायेगी |बधाई राजेश कुमारी जी गागर में सागर भरने लिये |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service