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तरसते अम्बर धरती (कुण्डलिया छंद )

धरती अम्बर से कहे ,सुना प्रेम के गीत 

अम्बर धरती से कहे, दिवस गए वो बीत 

दिवस गए वो बीत ,मुझे कुछ दे न दिखाई 

 कोलाहल के  बीच,तुझे  देगा न सुनाई 

जन करनी के  दंड, अभागिन प्रकृति भरती   

किस विध मिलना होय ,तरसते अम्बर धरती

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 2, 2012 at 12:00pm

प्रिय सीमा जी आपकी टिपण्णी हमेशा नव उत्साह नव प्रोत्साहन प्रदान करती है जिसकी प्रतीक्षा करती है कोई भी रचना ,हार्दिक आभार आपका 

Comment by seema agrawal on December 2, 2012 at 11:29am

दिवस गए वो बीत ,मुझे कुछ दे न दिखाई 

 कोलाहल के  बीच,तुझे  देगा न सुनाई ...बहुत खूब ... अच्छे भावों का इस प्रकार के  शब्दों में अनुवादित हो जाना सोने में सुहागे की तरह होता है 

बहुत बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 26, 2012 at 9:02am

अशोक कुमार रक्ताले जी कुंडलिया की सराहना हेतु हार्दिक आभार 

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 25, 2012 at 10:20pm

जन करनी के  दंड, अभागिन प्रकृति भरती   

किस विध मिलना होय ,तरसते अम्बर धरती

वाह! बहुत सुन्दर कुंडलिया के लिए सादर  हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरेया राजेश जी.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 25, 2012 at 10:26am

सधन्यवाद स्वागत है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 25, 2012 at 10:04am

मेरी कुंडलिया की इतनी सुन्दर समीक्षा हेतु बहुत बहुत हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 24, 2012 at 10:37pm

जन करनी के  दंड, अभागिन प्रकृति भरती   

किस विध मिलना होय ,तरसते अम्बर धरती

बहुत ही सही कहाँ अपने आदरेया राजेश कुमारी जी,वायु प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, जल प्रदुषण 

सब मानव की करनी के परिणाम स्वरुप प्रक्रति में संतुलन बिगड़ रहा है, सुन्दर कुण्डलियाँ छंद 

के माध्यम से बात कहने के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारे 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 24, 2012 at 9:48pm

आदरणीय गणेश जी आपको कुंडलिया पसंद आई आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 24, 2012 at 9:09pm

//दिवस गए वो बीत, मुझे न दे कुछ दिखाई 

कोलाहल के  बीच,तुझे  देगा न सुनाई//

सुन्दर कुण्डलिया छंद , आदरणीया राजेश कुमारी जी, इस संदेशात्मक रचना हेतु कोटिश: बधाई स्वीकार करें |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 24, 2012 at 11:59am

प्रिय प्राची जी आपकी सुखद प्रतिक्रिया पाकर मन खुश हुआ बहुत बहुत हार्दिक आभार आपका 

कृपया ध्यान दे...

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