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श्याम नारायण वर्मा, बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति है| आपको बधाई |
//ककुभ छंद ke bare men main kisi kitab men abhi tak nahin padha hon.//
आदरणीय, आप इस मंच पर हैं. ’चित्र से काव्य तक’ समूह में उपलब्ध पिछले आयोजनों के पन्ने लगातार पढ़ते जायँ, आदरणीय. आपको इस ककुभ छंद पर प्रविष्टियाँ ही नहीं और प्रतिक्रिया रचनाएँ भी मिल जायेंगी.
सादर
//मैं एक विद्वान की किताब में पढ़ा था कि आधुनिक युग में अंत में म गण का होना जरूरी नहीं है//
आदरणीय, ऐसा कहीं है तो आप अवश्य उद्धृत करें. हम सभी को जानने-समझने का अवसर मिलेगा.
दूसरे, यदि ऐसा वस्तुतः है तो फिर ताटंक छंद का वैशिष्ट्य कहाँ रहा ? फिर कुकभ छंद और ताटंक छंद में क्या अंतर रहा ?
ज्ञातव्य : ककुभ छंद - कुल मात्रा 30, 16-14 की यति तथा पदांत २ गुरु से होता है.
ताटंक छंद मात्रिक छंद होता है जिसके एक पद की कुल मात्रा 30 होती है. तथा 16-14 पर यति मान्य है. अंत में तीन गुरु अनिवार्य हैं. इस हिसाब से आपकी रचना को परखने की कोशिश कर रहा हूँ, आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी.
तड़प रहा हूँ भूख प्यास से , बँधा खूँटे में कसाई
111 12 2 21 21 2, 12 22 2 122 = 30
इस पंक्ति में नियमानुसार 16-14 की यति है किन्तु तीन गुरु से अंत वाले महत्त्वपूर्ण विन्दु की अनदेखी हो गयी है जिसके कारण तीस मात्राओं वाली पंक्ति का कोई छंद ताटंक होता है. वस्तुतः, कसाई शब्द यगण के वर्ण का है जिसका विन्यास ।ऽऽ होता है.
मालिक ने ही जब बेच दिया , अंजान कब दया आई
211 2 2 11 21 12, 221 11 12 22 = 30 16-14 पर नियमानुसार यति हुई है और साथ ही, (द)या आई के होने से तीन गुरु (ऽऽऽ) का नियम भी संतुष्ट होता है. अतः यह शुद्ध पंक्ति है.
इसीतरह, अन्य पंक्तियों को देख कर स्वयं परख लें, आदरणीय.
एक बात - जहाँ तक मुझे याद है, आपने इस रचना को सार छंद पर आधारित कह कर पोस्ट किया था.
सादर
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी, आपकी प्रस्तुति हेतु आपको धन्यवाद. बूढे बैल की व्यथा पर छंद प्रयास किया है.
सादर निवेदन है कि आपने अपनी इस रचना को जिस छंद में बांधा है (आपने नामकरण सार छंद किया है) उसकी विधात्मक जानकारी इस मंच के साथ साझा करें तो अति कृपा होगी. दूसरे, चरणों में मात्राओं का नियत होना आवश्यक होता है, इस के प्रति भी आपके विचारों से प्रस्तुत मंच अवगत होना चाहेगा.
सादर
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति आभार
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