कार में बैठे शराबी चुस्कियाँ लेने लगे
तब भिखारी भी शहर के आशियाँ लेने लगे
रूठना आता नहीं है पर दिखावा कर लिया
रूठने के बाद हम ही सिसकियाँ लेने लगे
Comment
छोड़ आये थे जिसे हम "दीप" बन के बेबफा
याद उसने जब किया हम हिचकियाँ लेने लगे
इस शेर ने तो कमाल कर दिया है आदरणीय संदीप जी. सुन्दर गजल पर बधाई स्वीकारें.
जी आदरणीय वीनस जी
मैंने गलती की
क्यूंकि में
रोज- ए- महसर इन तीनों को प्रथक प्रथक पढ़ रहा था
रोज फिर ए फिर महसर
आपका एक बार पुनः ह्रदय से आभारी हूँ
सुधार कर लिया है
इस प्रकार से
क्या अब सही है
रोजे महसर की खबर तो इस कदर छाने लगी
बंजरों में लोग भी अब कस्तियाँ लेने लगे
आदरणीया डॉ प्राची जी , आदरणीय पियूष जी सादर प्रणाम
आपने ग़ज़ल को पसंद किया और अपने बेशकीमती विचार रखे
इसके लिए मैं आपका तहे दिल से आभारी हूँ
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
रूठना आता नहीं है पर दिखावा कर लिया
रूठने के बाद हम ही सिसकियाँ लेने लगे... बहुत नाज़ुक भावों नें शब्द लिए है, वाह
घूमने आये थे मंत्री जो निरिक्षण में अभी
चाय पीकर वो भी देखो झपकियाँ लेने लगे.....क्या खूब शब्द चित्र उकेरा है मंत्रियों द्वारा निरीक्षण की औपचारिकता का , बहुत खूब!
छोड़ आये थे जिसे हम "दीप" बन के बेबफा
याद उसने जब किया हम हिचकियाँ लेने लगे....बहुत सुन्दर शेर.
हार्दिक बधाई इस सुन्दर ग़ज़ल केलिए संदीप जी.
लाजवाब संदीप भाई जी, पूरी गज़ल के साथ-साथ इस शेर के लिए विशेष दाद कबूलें भाई...
छोड़ आये थे जिसे हम "दीप" बन के बेबफा
याद उसने जब किया हम हिचकियाँ लेने लगे
बेशक ये हासिले-गज़ल है !
भाई इजाफत इस्तेमाल करने में कोई दिक्कत नहीं है मगर आपने इजाफत करते हुए मात्रा गलत ली है
अर्थात गलत वज्न पर बाँध दिया है
रोज-ए-महसर का सहीह वज्न के लिए लेख माला में सम्बन्धित लेख पढ़ें --
आदरणीय नादिर साहब , आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी , आदरणीय वीनस सर जी , आदरणीय लक्षमण सर जी, आदरणीय अरुण जी , आदरणीया महिमा जी
सादर प्रणाम आप सभी को
आपने मेरी ग़ज़ल को वक़्त दिया और हौसलाफजाई की इसके लिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया और सादर आभार
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
तत आदरणीय वीनस जी
क्या इस शेर में इजाफत का उपयोग नहीं कर सकते हैं
रोज-"ए"-महसर
कृपया मार्गदर्शन करें ताकि मेरी तकनीक में कुछ और इजाफा हो
घूमने आये थे मंत्री जो निरिक्षण में अभी
चाय पीकर वो भी देखो झपकियाँ लेने लगे... ::))
नमस्कार संदीप जी .. बहुत बढ़िया // बधाई आपको
वाह मित्र वाह उम्दा ग़ज़ल कुछ अशआर तो माशाल्लाह लाजवाब हैं, बधाई स्वीकारें
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