दिन रात सरकारी सिस्टम और तथाकथित भ्रष्टाचारियों को कोसते कोसते एक दिन कोसू राम भगवान् के घर को विदा हुए जी हाँ जिन्दगी भर ईमानदारी से जिए कोसू राम जी जैसे ही ऊपर पहुंचे, भीड़ लगी हुई थी चौंककर पूछा ये क्या हो रहा है !! आवाज आई पंक्ति में खड़े हो जाओ फिर बताते हैं, कोसू राम जी पंक्ति में खड़े हो गए आगे वाले सज्जन ने बताया वो दरवाजे देख रहे हो उनसे हमें पंक्तिबद्ध अन्दर जाना है शुक्रिया अदा कर कोसूराम जी सोचने लगे, चलिए आज कुछ तो अच्छा हुआ यहाँ कुछ तो ईमानदारी है अपना नंबर आ ही जायेगा । थोड़ी देर के बाद उन्होंने देखा एंट्री के दो दरवाजे हैं फिर पूछा ये क्या है यार , हम सब तो यहाँ ईमानदार आदमी हैं फिर ये दूसरी एंट्री का क्या माजरा है , आगे वाला फिर बोला पूरे ईमानदार या ईमानदार !अब ये क्या चक्कर है !!कोसूराम जी ने झल्ला के पूछा , अब हमें ये कौन बताएगा की कौन ईमानदार और कौन पूरा ईमानदार ?? यहाँ भी परेशां कोसूराम जी की नज़र थोड़ी देर खड़े रहने के बाद एक जाने पहचाने चेहरे पर पड़ी , ये वही था जिसे वो दिन रात कोसते थे नगरपालिका में बाबू था , इस काम के दस हुए , इस काम के पचास लेकिन ये क्या इस पंक्ति में भी आज वो आगे था उसके बाद तो फिर क्या था कोसूराम जी बोल पड़े , एक पंक्ति और बनानी चाहिए बेईमानों के लिए । आदमी ने फिर याद दिलाया के यहाँ तो सारे ईमानदार हैं । कोसूराम सोचने लगे तो फिर ये बेईमान यहाँ कैसे । कोसूराम जी का दिमाग खराब हो गया उनसे रहा न गया और कौतूहल वश पंक्ति से परे जा के पूछ ही लिया, आप यहाँ कैसे ! ईमानदारों की पंक्ति में , बाबू बोला कुछ काले लोग यहाँ भी मिल गए मामला फिट हो गया । कोसूराम जी ने फिर पूछा फिर भी दो में से आपकी कौन सी एंट्री होगी ? सरकारी दफ्तर का बाबू बोला जो पहले भर जाए वो पूरा ईमानदार वाला दरवाजा और जो बाद में वो महज ईमानदार और आपका नंबर तो ईमानदार वाले में ही आ पायेगा क्यूंकि आप बेईमानी कर के आगे नहीं आ सकते हैं । इतना कह मुस्कुरा दिया और खटिया में पड़े कोसूराम जी भयभीत हो जाग उठे उस सपने की नींद से
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sandeep ji prasng ko sabdo me pirona aapko achhi tarah se aata he badhai ke hakdaar he sweekare
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