शानू उठो, देखो पापा शहर से आ गए हैं,,मगर नीद थी की उसे उठने ही नहीं दे रही थी , आज उसे गाँव आये हुए १५ दिन हो गए थे, नंगे पाँव बागों में फिरना कच्चे, अधपके आमों की लालच में , धुल मिटटी से गंदी हुयी फ्रॉक की कोई परवाह नहीं , पूरी आजादी, और फ़िक्र हो भी क्यों उसने अपना इम्तिहान बहुत मन लगाकर दिया था, प्रथम आयी तो ठीक मगर उस सुरेश को नहीं आने देना है , येही मलाल लिए गर्मी की छुट्टियों में गाँव आ गयी, पापा बाद में आयेंगे शानू के रिजल्ट के बाद,,और साथ में वापस जाने की तैयारी भी मगर अभी तो कोई फ़िक्र नहीं,,,कोई कह नहीं सकता ये शानू शहर के बड़े नामी गिरामी स्कूल की छात्रा है,,,, खैर अधखुली आँखों से देखा एक लकड़ी की स्लेट जैसी , उसपर चांदी से कुछ बनाया हुआ. मगर कुछ ख़ास नहीं , हाँ ख़ास था तो वो चोकलेट का डिब्बा जो जरूर पापा शहर से लाये थे. आखिर आँख खुल ही गयी और फिर पापा ने बताया की शानू को ये शील्ड हर विषय में पूरे पूरे नंबर लाने पर मिली है, येही अकेली छात्रा थी, लेकिन शानू के लिए शील्ड कोई ख़ास तोहफा नहीं था इससे अच्छा तो टिफिन बॉक्स या water bottle होती. सभी पापा की बातें सुन रहे थे और शानू उस चोकलेट के बॉक्स में कितनी टाफियां थी गिन रही थी,,,मगर जब सुरेश का नाम सुना तो उसके कान खड़े हो गए,,,पापा कह रहे थे ,,पता है जब मैं तुम्हारे स्कूल गया तो सुरेश भाग कर मेरे पास आया और मुझे प्रणाम किया उसके चेहरे की खुशी देखते बनती थी , उसने बताया अंकल शानू को चांदी की शील्ड मिली है ,,,उसे पूरे स्कूल में सबसे अछे नंबर मिले हैं,,मैं second पोजीशन पर हूँ ,,,आप मेरी तरफ से उसे बधाई दे दीजियेगा,,,और ये सुनते ही मन अजीब सा हो गया , शानू को समझ में आ गया था विनम्रता कहीं अधिक प्रभावी है जीवन पर ,,,घमंड इंसान को इंसान नहीं बनने देता है.
Comment
shanu ke man me class me prathm aane ki pratidwndita thi, khud ko achha samjhne ka dambh tha, ye pratidwanfita kaheen naa kaheen irshya ya magrooriyat ko janm deta hai....jabki suresh ke man me shanu ke liye khushee thi.....aur jab papa ne suresh ki tareef ki tab usey samjh me aaya suresh achha hai
कहानी पढ़कर ऐसा तो नहीं लगता की शानू को घमंड हो गया था, उसे तो शील्ड मिलने पर ख़ुशी नहीं हुई जो उसे टिफिन अथवा वाटर बोतल जैसी चीज मिलने पर होती । कहानी का समापन कुछ बदलाव कर शीर्षक की सार्थकता अनुरूप करने की गुंजाईश है । फिर भी कहानी लिखने के प्रयास के लिए बधाई ।
//शानू को समझ में आ गया था विनम्रता कहीं अधिक प्रभावी है जीवन पर ,,,घमंड इंसान को इंसान नहीं बनने देता है.// शानू को घमंड हुआ था या शील्ड के महत्व को नहीं समझा, बदले में टिफिन बॉक्स या टॉफी पसंद था ?
कुछ समझ में नहीं आया , मेरी समझ से यहाँ घमंड की बात कुछ नहीं है |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online