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आदरणीय अरुण 'अभिनव' जी वाह बहुत सुंदरता से सरकार और समाज के बीच कि विसंगति को उभरा है हार्दिक बधाई स्वीकारें.
आदरणीय श्री सौरभ जी , आपका उत्साहवर्धन मेरे लिए उर्जा का स्रोत है । बहुत बहुत आभारी हूँ !
आदरणीया राजेश कुमारी जी रचना में उल्लिखित भावो को अपने पसंद किया हार्दिक आभार आपका !!
जाने कितनी ही काली रातों की कलिमा में कितने ही भाग्यहीन सितारे टूट कर या तो विलीन ज़िन्दग़ी जीते रहते हैं, या सबल पंजों के हत्थे चढ़ अपने होने के मायनों पर लगातार सिर धुनते रहते हैं. इन्हीं बेचारों की भाग्यहीनता के कारण रात के अंधकार और दिन के उजाले में फ़र्क़ करना सीखा जाता है. ऐसे सितारों की दशा पर आपने मरहम लगा कर रचनाधर्मिता का निर्वहन किया है, भाई अरुण अभिनवजी.
इस कविता के लिए हार्दिक धन्यवाद व शुभकामनाएँ .. .
दुखद है बहुत जो आहें ,आंसूं उस एकांत भयावह सन्नाटों में अविरल बह रहे हैं उसकी कोई चर्चा नहीं कोई कुछ भी करे उनकी व्यथा कोई नहीं हर सकता कोई उनके घावों पर मरहम भी किस मुख से लगाए बहुत मार्मिक चिंतनीय पोस्ट हेतु आभार
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