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हाँथ तेरे सौंप दी अब जिंदगी की डोर है,
जानके मत तोड़ना तुम दिल जरा कमजोर है,

भूलना है भूल जाना, गैर तुम मुझको समझ,
प्रेम में बंधन नहीं, ताकत न कोई जोर है,

कौन कहता है की, लहरें राह भटकाती नहीं,
जबकि ये गहरा समंदर कश्तियों का चोर है,

दूरियां नजदीकियां हैं किस्मतों के खेल में,
चाँद तारे छुप गये सब, हो गई जब भोर है,

हुस्न के आशिक हजारों, हर गली हर मोड़ पे,
दिल लिखे कविता कहानी, हर जगह हर ओर है.

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Comment by अरुन 'अनन्त' on January 10, 2013 at 4:57pm

आदरणीय कुशवाहा सर दिल है और दिल की किस्मत में तो टूटना ही लिखा है कभी जाने में कभी अनजाने में. आपकी बधाई सर-आँखों पर सादर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 4:41pm

अगर अनजाने में टूट जाये 

बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 30, 2012 at 11:27am

आभार आदरणीय रक्ताले सर नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 30, 2012 at 10:57am

दूरियां नजदीकियां हैं किस्मतों के खेल में,
चाँद तारे छुप गये सब, हो गई जब भोर है,

 सुन्दर अरुण जी बधाई स्वीकारें.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 28, 2012 at 12:23pm

आभार आदरणीय सर

Comment by Dr.Ajay Khare on December 28, 2012 at 12:15pm

sharma ji samarpan isi ko kahte bahut khub

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