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कुण्डलिया एक प्रयास

आदरणीय श्री अरुण कुमार निगम सर के द्वारा संशोधित की गई कुण्डलिया आप सभी के समक्ष सादर पेश कर रहा हूँ कृपया स्वीकारें .

सोवत जागत हर पिता, करता रहता जाप,
रखना बिटिया को सुखी, हे नारायण आप

हे नारायण आप , कृपा अपनी बरसाना
मिले मान सम्मान,मिले ससुराल सुहाना
बीते जीवन नित्य,प्रेम के पुष्प पिरोवत
अधरों पर मुस्कान,सदा हो जागत सोवत ||

सादर

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Comment by अरुन 'अनन्त' on January 10, 2013 at 4:58pm

अनेक-अनेक धन्यवाद आदरणीय कुशवाहा सर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 4:42pm

बहुत सुन्दर भाव 

बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 28, 2012 at 5:02pm

वाह गुरुदेव सत्य बतलाया आपने सुन्दरता और निखर गई है आभार..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 28, 2012 at 4:58pm

धन्यवाद, अरुन अनन्तजी..

अब सोवत जागत आदि शब्दों को सोता जगता आदि कर के अपने छंद को पुनः देखिये, आप अपने प्रयास पर स्वयं दंग हो जायेंगे.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 28, 2012 at 4:55pm

आदरणीय गुरुदेव आपकी वाह - वाही मिली मैं धन्य हुआ, गुरुदेव आपका कथन मेरे लिए सदैव प्रेरणादाई होता है, मुझे ज्ञात है की आप हम सबका भला चाहते हैं और भला सोंचते हैं ऐसे में आपकी प्रतिक्रिया को मैं अन्यथा कैसे ले सकता हूँ सर, सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 28, 2012 at 4:03pm

मिले मान सम्मान,मिले ससुराल सुहाना  ..  वाह-वाह !  बहुत ही सुन्दर !!

एक सधा हुआ प्रयास हुआ है, अरुण जी.  हृदय से बधाई कह रहा हूँ.

आपकी कलम योंही संयत और उर्वर रहे.

एक निवेदन : जागत, सोवत, पिरोवत जैसे शब्दों के प्रयोग के पीछे क्या आग्रह रहा होगा ?  ये आसानी से जगता, सोता, पिरोता किये जा सकते हैं और इन शब्दों का यह रूप प्रस्तुत छंद को खड़ी हिन्दी भाषा का सुन्दर उदाहरण बनाता.

भाई, यह अवश्य है कि आंचलिक शब्दों का यदा-कदा प्रयोग हिन्दी भाषा में पदों के लालित्य तथा उसकी संप्रेषणीयता को कई गुणा बढ़ा देता है. लेकिन ऐसा प्रयोग यदि संयत न हुआ तो यही अजीब सा लगता है.

विश्वास है, मेरे कहे को आलोचना की तरह न ले कर इसे मेरी समझ मान कर स्वीकारेंगे.

शुभेच्छाएँ.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 28, 2012 at 12:25pm

आदरणीय प्राची दीदी आपकी सराहना, स्नेह और सहयोग मुझे सदैव प्रेरित करता है, आपसे बधाई पाके ह्रदय प्रसन्न हुआ अनेक-२ धन्यावाद दी. 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 28, 2012 at 12:24pm

आदरणीय अशोक सर कुण्डलिया आपको पसंद आई प्रयास सफल हुआ हार्दिक आभार.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 28, 2012 at 10:38am

प्रिय अरुण जी,

अपनी पुत्री के प्रति एक पिता के स्वाभाविक मनोभावों को फ़िक्र को सुन्दर शब्द दिए हैं, हार्दिक बधाई.

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 28, 2012 at 8:42am

अरुणजी भाई, बिटिया के लिए सुन्दर भाव पिरोती कुंडलिया के लिए बधाई स्वीकारें.

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