लिख कर अनुभव पत्रिका पार क्षितिज के पुराना साल गया |
ले कर कोरे पृष्ठ सहस्त्र देखो आया है फिर साल नया |
हों सम्बंध नए हों अनुबंध नए,
नव निर्मित बंधों के हों तटबंध नए,
इक नई कथा लिखें इक नई प्रथा लिखें,
जीवन पृष्ठ पर लिखें नित छंद नये,
दुःख बिसराने सुख बिखराने देखो आया है फिर साल नया |
लिख कर अनुभव पत्रिका पार क्षितिज के पुराना साल गया |
हो दर्श नया हर्ष नया उत्कर्ष नया,
जो भी रचें हम, रचें सहर्ष नया,
उन्नति के नित नए आयाम गढ़ने,
सृजन पथ पर हो नित संघर्ष नया,
कुछ सुलझाने कुछ समझाने देखो आया है फिर साल नया |
लिख कर अनुभव पत्रिका पार क्षितिज के पुराना साल गया |
हो अभिलाष नया हो विश्वास नया,
नूतन गढ़ने का हो प्रयास नया,
शूल शलाका समूल नष्ट हो जाए,
वन उपवन में हो मधुमास नया,
रस बरसाने मन महकाने देखो आया है फिर साल नया |
लिख कर अनुभव पत्रिका पार क्षितिज के पुराना साल गया |
छल प्रपंच के व्याकरण न सीखें,
हम सीखें प्रेम की नई परिभाषा,
घृणा द्वेष के मन गणित भुला कर,
पर पीड़ा उन्मूलन की हो अभिलाषा,
कुछ सिखलाने कुछ दिखलाने देखो आया है फिर साल नया |
लिख कर अनुभव पत्रिका पार क्षितिज के पुराना साल गया |
शुभाकांक्षी...लतीफ़ ख़ान (दल्लीराजहरा)
Comment
आदरणीय लतीफ़ सर नव वर्ष प्रस्तुत गीत बहुत मनमोहक और सुन्दर है हार्दिक बधाई.
लेकर कोरे पृष्ठ सहस्त्र देखो आया है फिर साल नया..
यह मुख्य पंक्ति बहुत सुन्दर है, नए वर्ष की नवीनता को संजोये...बहुत बहुत बधाई
नव वर्ष पर सुन्दर सपनों से सजे इस गीत के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय लतीफ़ खान जी.
नव वर्ष के हार्दिक शुभकामनाएं.
आप सभी आदरणियों का धन्यवाद |
लिख कर अनुभव पत्रिका पार क्षितिज के पुराना साल गया
सकारात्मक पंक्तियों से लबालब गीत के लिए आपका सादर आभार, आदरणीय लतीफ़ खान साहब. नव वर्ष की अनेकानेक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ. आप सपरिवार सानन्द, स्वस्थ और संतुष्ट रहें.
सादर
आदरणीय लतीफ खान साहब सादर, नव वर्ष पर सुन्दर गीत की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकारें साथ नव वर्ष की शुभकामनाएं.सादर.
छल प्रपंच के व्याकरण न सीखें, हम सीखें प्रेम की नई परिभाषा, घृणा द्वेष के मन गणित भुला कर, पर पीड़ा उन्मूलन की हो अभिलाषा, कुछ सिखलाने कुछ दिखलाने देखो आया है फिर साल नया | लिख कर अनुभव पत्रिका पार क्षितिज के पुराना साल गया | ... काश ! ऐसा ही हो . आपकी दुआओं में मैं भी अपना स्वर मिला रहा हूँ खान साहेब . नववर्ष की हार्दिक बधाई .
श्री खान जी आपकी रचना नव वर्ष की नयी प्रस्फुटित कली की तरह सुंगंध से भरी हुयी बहुत सुंदर रचना है...बधाई सर
बहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने साहब
बहुत बहुत बधाई आपको
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