For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इंसानो की बस्ती

हर ख्वाहिश हो जाये पूरी, यहाँ किसकी ऐसी हस्ती है,

लुटता है इंसान वहाँ, जहाँ इंसानो की बस्ती है ।

इंसानियत दफन हो गई, हैवानियत सब पे भारी है,

आत्मा है गिरवी सबकी, बेईमानो कि साहूकारी है,

बहता है लहु सडको पर, पानी की बुँदे बिकती है 

लुटता है इंसान वहाँ, जहाँ इंसानो की बस्ती है ।

  

नारी ही नारी की आज, दुश्मन बन के बैठी है,

बच गई कोख मे तो, आग के हवाले होती है,

दहलीजो के अन्दर आज, बहन बेटीयाँ लुटती है,

लुटता है इंसान वहाँ, जहाँ इंसानो की बस्ती है ।

लहु पिलाते है अपना, खुद गंगाजल को मोहताज है,

कन्धो पर जिसने घुमाया, खुद कन्धे को मोहताज है,

तरशती बंजर आंखो से, आसूँ कि बारिश झारती है,

लुटता है इंसान वहाँ, जहाँ इंसानो की बस्ती है ।

 

बनते है हमराज और, अस्तीनो मे खंजर रखते है,      

रुप सुदामा का लेकर , आज बिभीषण मिलते है,

दोस्त बन गये है दुश्मन, मांझी डुबोते कस्ती है ,

लुटता है इंसान वहाँ, जहाँ इंसानो की बस्ती है ।

 

अपनो की परिभाषा भुले, गैरो मे अपने खोजते है,

चन्द सिक्को की खातिर, हाट मे रिश्ते बिकते है,

परँपराओ की हदे तोड कर, संस्कारो की बोली लगती है,

लुटता है इंसान वहाँ, जहाँ इंसानो की बस्ती है ।

हर ख्वाहिश हो जाये पूरी, यहाँ किसकी ऐसी हस्ती है ॥       

"मौलिक व अप्रकाशित

Views: 495

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत नेमा on January 7, 2013 at 10:49am

आदरणीय प्राची दीदी ,

आप का बहुत बहुत ध्न्यवाद ,  आप के सुझावो का मै आदर करता हु और अपनी गलतीयो पे ध्यान दुंगा . बस आप बडॆ लोगो का इसी प्रकार सहयोग की अपेक्षा करता रहुंगा 

श्री अशोक कुमार जी और श्री अरुन की आप लोगो का ध्न्यवाद  और आभार ... 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 6, 2013 at 1:48pm

आदरणीय बसंत जी प्रथम प्रयास हेतु आपको बधाई, ह्रदय की बेदना को सुन्दरता के साथ प्रस्तुत किया है, जैसा की प्राची दीदी ने कहा है उनकी बातों पर ध्यान दीजियेगा, धीरे-२ सब ठीक हो जायेगा. सादर.

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 6, 2013 at 11:06am

हर ख्वाहिश हो जाये पूरी, यहाँ किसकी ऐसी हस्ती है,

लुटता है इंसान वहाँ, जहाँ इंसानो की बस्ती है ।

आदरणीय बसंत जी सुन्दर रचना प्रस्तुत की है, नारी के साथ ही वृद्ध माता पिता की पीड़ा पर चिंता व्यक्त की है. बहुत बढ़िया बधाई स्वीकारें टंकन त्रुटी पर आदरेया डॉ. प्राची जी ने लिखा ही है.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 5, 2013 at 7:06pm

समाज में व्याप्त नैतिक अवमूल्यीकरण से आहत मन के उद्गारों को व्यक्त करने का सुन्दर प्रयास आदरणीय बसंत जी. 

आपकी प्रथम प्रवष्टि पर हार्दिक बधाई 

कहीं कहीं टंकण की त्रुटियाँ रह गयी हैं, उन्हें आप एडिट अवश्य कर लें.

सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"दोहा अष्टक***हर पथ जब आसान हो, क्या जीवन संघर्ष।लड़-भिड़कर ही कष्ट से, मिलता है उत्कर्ष।।*सहनशील बन…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सादर अभिवादन।"
11 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
सतविन्द्र कुमार राणा posted a blog post

जमा है धुंध का बादल

  चला क्या आज दुनिया में बताने को वही आया जमा है धुंध का बादल हटाने को वही आयाजरा सोचो कभी झगड़े भला…See More
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Thursday
आशीष यादव posted a blog post

जाने तुमको क्या क्या कहता

तेरी बात अगर छिड़ जातीजाने तुमको क्या क्या कहतासूरज चंदा तारे उपवनझील समंदर दरिया कहताकहता तेरे…See More
Thursday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post एक बूँद
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Jan 4
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Jan 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service