रे मन करना आज सृजन वो
भव सागर जो पार करा दे l
निश्छल प्रण से, शून्य स्मरण से
मूरत गढ़ना मृदु सिंचन से,
भाव महक हो चन्दन चन्दन
जो सोया चैतन्य जगा दे l
रे मन करना आज सृजन वो
भव सागर जो पार करा दे l
प्रबल अवनि हो, चकमक मणि हो
बधिर श्रव्य वह निर्मल ध्वनि हो,
शब्द कंप का निहित अर्थ हर
मन वीणा के तार गुंजा दे l
रे मन करना आज सृजन वो
भव सागर जो पार करा दे l
हृदय नभश्वर मापे अम्बर
अमिय पिए, कर मंथित सागर,
अमर सुधा रस छलक छलक कर
तृप्त करे, मन-प्राण भिगा दे l
रे मन करना आज सृजन वो
भव सागर जो पार करा दे l
निज सम्मोहन द्विजता बंधन
विलय करे हो ऐसा वंदन,
सत्य कटु और मधुर कल्पना
विलग! सेतु बन, मिलन करा दे l
रे मन करना आज सृजन वो
भव सागर जो पार करा दे l
*सस्वर गायन गणेश जी "बागी"
Comment
आदरणीय बाग़ी जी,
सादर अभिवादन
आज आपका सस्वर पाठ सुना.
झंकृत हुआ तन आनंद कई गुना
बधाई.
मैं जानता हूँ की हिंदी कविता को स्वर देने में कितना परिश्रम होता है कि वो दिल को छूए .वो भी बगैर वाद्य यंत्रों के. आपका सुन्दर प्रयास मुझे ही क्या अन्य साथियों को भी गायन हेतु प्रेरित करेगा. आपके साथ साथ प्राची जी को बधाई कि उनके शब्दों को आपके मुखारबिन्दु से गाये जाने का मान मिला.
आडियो अपलोड की विधी बता दीजिए.
बहुत बहुत आभार आदरणीय लडिवाला जी, रचना वास्तव में अच्छी होने से गायन में भी आनंद आया ।
आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी ।
आदरणीया डॉ प्राची जी, सब आपकी रचना की महिमा है नहीं तो मैं और गायकी ? सराहना हेतु आभार और इस खुबसूरत और भाव प्रधान रचना हेतु एक बार पुनः बधाई ।
आदरणीय बागीजी के मधुर स्वर में आपका गीत सुनकर मन मुग्ध हो गया डॉ प्राची सिंह जी,साथ ही गीत और अच्छे समझ आया, रचना के लिए और गायन स्वर देने के लिए आप दोनों का हार्दिक आभार । यह भी समझ आया की गायन के बाद और अधिक सपष्ट आती है ।
वाह वाह बस क्या कहूँ आपकी आवाज में सुनने में इतना मधुर लगा की बार बार सुनने को मन कर रहा है इस खूबसूरत रचना में चार क्या आठ चाँद लग गए क्लेप , क्लेप ,, क्लेप ,
आदरणीय गणेश जी,
इस गीत को सुन्दर धुन दे कर अपनी आवाज़ में हारमोनियम के पंचम सुर के साथ गा कर आपने मेरी लेखनी को जो मान दिया है उसके लिए मैं आपकी ह्रदय से आभारी हूँ.
इस रचना के अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार आ. राजेश झा जी
निज सम्मोहन द्विजता बंधन
विलय करे हो ऐसा वंदन,
सत्य कटु और मधुर कल्पना
विलग! सेतु बन, मिलन करा दे l बहुत ही सुंदर, ऐसी कल्पना रूपायित हो जाए तो सच में मन प्रफुल्लित हो जाए
आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपसे इस रचना पर सराहना पा कर मन प्रफुल्लित है, इस उत्साहवर्धन हेतु ह्रदय से आपकी आभारी हूँ, सादर.
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