जीवन-मृत्यु
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एक अदृश्य सी रेखा
जीवन मृत्यु के मध्य
चुनना अत्यंत कठिन
दोनों में से एक को
जीवन क्षणभंगुर
अकाट्य सत्य है
मृत्यु भी असत्य नहीं
जान लें इस भेद को
मृत्यु की छाती पर
नर्तन करता जीवन
पकड़ना चाँद लहरों में
बाँधना रेत का कठिन
चेत रे मन होश न खोना
जीवन है अमूल्य खरा सोना
सुन्दर जीवन जिया जाये
होय वही जो पिया मन भाये
Comment
धन्यवाद आदरणीय संदीप जी सादर
आदरणीय सौरभ गुरुदेव जी
सादर
इसका अर्थ है की रचना के अंत को सुधरने की जरूरत नहीं है अब.
स्नेह हेतु आभार
धन्यवाद ब्रजेश जी सादर
धन्यवाद आदरणीया उपासना जी सादर
धन्यवाद आदरणीय विशाल जी सादर
धन्यवाद
आदरणीय लड़ीवाला जी
सादर
वाह वाह आदरणीय क्या बात है
कम शब्दों मे एक प्रभावी रचना
आपको इस रचना हेतु बधाई आदरणीय
इन अद्वितीय और उच्च भावों से भरी पंक्तियों को विलम्ब से देख पा रहा हूँ, आदरणीय प्रदीपजी. जिस सहज लहजे में आपने जीवन और मृत्यु के शाश्वत स्वरूप को आपने शब्द दिये हैं वह आपकी सतत विचार प्रक्रिया की बानगी है.
मृत्यु की छाती पर
नर्तन करता जीवन
पकड़ना चाँद लहरों में
बाँधना रेत का कठिन
कितनी सहजता और सरलता से भी आपके शब्द प्रकृति के जटिलतम स्वरूप को यहाँ बाँधते दीख रहे हैं ! वाह !!
यह आपकी गंगा-जमुनी वैचारिकता ही है कि गंभीरता की ओट में आप यह कह सके हैं. आपका सुफ़ियाना अंदाज़ बार-बार कर रहा है -
सुन्दर जीवन जिया जाये
होय वही जो पिया मन भाये
इस रचना के लिए सादर धन्यवाद.
सुन्दर जीवन जिया जाये
होय वही जो पिया मन भाये
बहुत सुन्दर!
जीवन का यही सत्य है .......बहुत सुन्दर
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