For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उदास लडकियां
नहीं कहतीं किसी से-
 अपनी उदासी का सबब
करतीं इसरार नहीं
अम्मा से, भैय्या से
होती न बतकही
छुटकी गौरैय्या से
तितलिओं के पीछे भी
 भागतीं नहीं जब तब
निर्दय, नृशंस
समय की दस्तक!
उदास लडकियां
नहीं कहतीं किसी से-
 अपनी उदासी का सबब
टोली बच्चों की
 जो गलियों में
करती है शोर;
कडक्को, पकडम पकडाई
खो- खो,
पतंगों की
कटती हुई डोर;
पी लेतीं आँखें
मासूम बदहवासी को
उदास लडकियाँ
जताती नहीं
अपनी उदासी को
बदल देती है
सब कुछ -
भरती हुई देह
बढ़ती पाबंदियां
ढलता हुआ नेह
चुभतीं लम्पट नजरें
मुंह चिढाते आईने 
बदल जाते हैं
स्नेहिल स्पर्शों
के मायने
कुंहासी संझा की
परछाईयों में
उलझ- उलझ
उदास लडकियां
नहीं कहतीं किसी से-
 अपनी उदासी का सबब
क्योंकि वे बच्चियां नहीं
कुछ और हैं अब!








Views: 856

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vinita Shukla on January 29, 2013 at 12:48pm

कोटिशः धन्यवाद आदरणीय विजय जी.

Comment by vijay nikore on January 25, 2013 at 1:29pm

विनिता जी:

उदास लडकियां
नहीं कहतीं किसी से-
अपनी उदासी का सबब ....बहुत ही सुन्दर भाव है!

इस संवेदनशील रचना के लिए बधाई।

विजय निकोर

Comment by Vinita Shukla on January 24, 2013 at 10:29pm

आदरणीय कुशवाहा जी, सराहना एवं समर्थन के लिए हार्दिक आभार.

Comment by Vinita Shukla on January 24, 2013 at 10:28pm

रामशिरोमणि जी, अनेकानेक धन्यवाद.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 24, 2013 at 5:16pm

बदल देती है 
सब कुछ -
भरती हुई देह 
बढ़ती पाबंदियां 
ढलता हुआ नेह 
चुभतीं लम्पट नजरें 
मुंह चिढाते आईने 
बदल जाते हैं 
स्नेहिल स्पर्शों 
के मायने 
कुंहासी संझा की 
परछाईयों में 
उलझ- उलझ 
उदास लडकियां 
नहीं कहतीं किसी से-
 अपनी उदासी का सबब 
क्योंकि वे बच्चियां नहीं 
कुछ और हैं अब!

आदरणीया विनीता जी सादर 

बहुत खूब. 

बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on January 24, 2013 at 4:39pm

बहुत खूब ! सुन्दर शब्द ! 

Comment by Vinita Shukla on January 24, 2013 at 4:24pm

रचना को समय देने एवं सराहना हेतु कोटिशः धन्यवाद शुभ्रा जी.

Comment by Vinita Shukla on January 24, 2013 at 4:22pm

सुन्दर शब्दों में सराहना हेतु बहुत बहुत धन्यवाद राजेश जी.

Comment by Vinita Shukla on January 24, 2013 at 4:22pm

सराहना एवं समर्थन के लिए कोटिशः आभार योगी जी.

Comment by shubhra sharma on January 24, 2013 at 3:16pm

छुटकी गौरैय्या से 
तितलिओं के पीछे भी 
 भागतीं नहीं जब तब 
निर्दय, नृशंस 
समय की दस्तक

बहुत बहुत अच्छी  रचना की पंक्ति ,बधाई स्वीकार करे विनीता शुक्ला जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
14 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service