मंद -मंद बयार का झोका ,
पेड़ की टहनियों का झुकना!
झरने से निकलती कल-२ ध्वनि ,
दिनकर का बदली में छुपना!
प्रसून से निकलती सुगंध,
वृक्षों का आलिंगन करना !
चिड़ियों का मधुर गुनगुनाना ,
खुशियों भरा सुन्दर बहाना !
नदियों वृक्षों संग गुज़ारा ,
प्रकृति का अनुपम खज़ाना !
स्वर्ग इसी धरा पर ही है ,
सभी प्राणियों को बतलाना !
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
प्रकृति का सुंदर वर्णन करती रचना हेतु बधाई आपको
प्रयास सुखद है ................बधाई हो
आपका प्रयास रंग लाता रहे. अब आप मात्राओं की गणना को गंभीरता से ले रहे हैं.
शुभ-शुभ
बहुत सुन्दर प्रक्रति का चित्रण किया है आप ने पाठक जी .... बधाई स्वीकारें
अच्छी प्रस्तुति पाठक जी ..बधाई
सही लिखा है आपने स्वर्ग इसी धरा पर है, हर कार्य में, वातावरण में, हर मौसम में हर जगह ख़ुशी का इजहार करना, सुखमय अहसास करना स्वर्ग के सामान सुख का अहसास दिलाता है । रचना के लिए बधाई
प्रकृति का सुन्दर चित्रण ... बधाई
आदरणीय राम शिरोमणि जी,
बधाई...अच्छा लिखा है।
विजय निकोर
भाई श्री राम शिरोमणि जी सुन्दर रचना भाव बधाई स्वीकारें. मगर चिड़ियों का गुनगुनाना कुछ ठीक नहीं है चिड़ियों का तो चहचहाना ही सही है.
बहुत सुन्दर रचना | आभार
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