For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ग़ज़ल "

आज बेमौत मर रहा होगा,
जो सवालों से डर रहा होगा ।

बाग़ की झुरमुटों में हलचल है,
नव युगल प्यार कर रहा होगा ।

अपने होने लगे हैं बेगाने,
कोई तो कान भर रहा होगा ।

खंडहर आज तक सलामत है 
नींव कहती है घर रहा होगा 

गुल छुपाने का फायदा क्या है,
बनके खुशबू बिखर रहा होगा ।

रौशनी हर कदम पे साथ रही,
"दीप" सा हमसफ़र रहा होगा ।

  • संदीप पटेल "दीप"

Views: 1242

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 19, 2013 at 11:24pm

बहुत सुन्दर गजल आदरणीय संदीप जी हर शेर दाद के काबिल. बधाई.

Comment by मोहन बेगोवाल on February 19, 2013 at 10:35pm

संदीप जी , किस शेअर पे दाद दें सभी अशरार उम्दा हैं

Comment by Aarti Sharma on February 19, 2013 at 8:46pm

वाह संदीप ,,बेहद सुन्दर प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें,...खासकर इन पंक्तियों पर

गुल छुपाने का फायदा क्या है,
बनके खुशबू बिखर रहा होगा ।

गुल छुप  सकते है उनकी खुशबु नही..

Comment by mrs manjari pandey on February 19, 2013 at 8:41pm

आदरणीय  संदीप  जी  अच्छा  लगा  - " अपने हो रहे हैं बेगाने  तो कान  भर रहा होगा "उर्जा का संचार होता है।

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 19, 2013 at 12:29pm

आदरणीय अजर सर जी सादर प्रणाम
इस प्रयास को सराहने हेतु आपका बहुत बहुत आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 19, 2013 at 12:29pm

आदरणीय गुरुदेव अनुमोदन के लिए आभार आपका स्नेह यूँ ही बनाए रखिए सादर प्रणाम 

Comment by Dr.Ajay Khare on February 19, 2013 at 12:07pm

sandeep ji really aap bahut badia likhta hai mai bhi aapki prena se achha likhne ki koshish karunga badhai


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 19, 2013 at 12:06pm

खंडहर आज तक सलामत है
नींव कहती है घर रहा होगा..

जय हो-जय हो ... वाह वाह वाह !!!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 19, 2013 at 12:06pm

आदरणीय आशीष भाई, आदरणीय विजय सर जी , आदरणीया विनीता जी आदरणीय विजय मिश्र जी आदरणीय बृजेश जी आप सभी का उत्साहवर्धन के लिए तहे दिल से आभारी हूँ
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए
सादर प्रणाम

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 19, 2013 at 12:02pm

आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी सादर प्रणाम
आदरणीय वीनस सर जी प्रणाम
ग़लती हो गयी है अब मुकम्मल करने का प्रयास करूँगा
आपने सही ध्यान खींचा है
एक दम से ग़लती हुई है और पता ही नही चला शायद
आदरणीय गुरुदेव की तरह
मैं भी कहन के प्रवाह मे अनदेखी कर गया और ग़लती हो गई

देखिए कुछ सुधार किए हैं

प्यार उसको अखर रहा होगा
बेबफा पर जो मर रहा होगा


और खंडहर वाले को यदि यूँ कर लें तो

खंडहर आज तक सलामत है
नींव कहती है घर रहा होगा


नींव पक्की है और गहरी भी
खंडहर पहले घर रहा होगा


आदरणीय गुरुदेव और वीनस सर जी आप दोनो का हृदय से बहुत बहुत आभारी हूँ
स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बनाए रखिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service