इधर - उधर
भटकती हूँ
मैं
अपने पापा की
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
पिता के लिए उसकी बेटी ही सर्वस्व होती है ..मन की गहराई में कुछ स्मृति अंकित होती है वो वात्सल्य की भी होती है... जिसे हम कभी नहीं भूल पातें और वोही हमारी ताकत बनती है
वंदना जी हृदय से आभार स्वीकार करें
सही कहा आप ने आदरणीय अरुण श्रीवास्तवा जी ..... त्रुटियों की तरफ इंगित करने के लिए हार्दिक आभार
बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ जी रचना सराहने के लिए
भावनाओं की लड़ियाँ देखने में पढ़ने में बहुत ही अच्छी लगती हैं ! मुझे भी लगी ! लेकिन रचना कर्म के लिहाज से कुछ और समय कुछ और चिंतन मांग रही है कविता ! ऐसा मेरा मत है ! कृपया अन्यथा न लें ! सादर !
कुछ पवित्र स्मृतियाँ मनःपटल पर अंकित हो स्थावर जाती हैं. हम आजीवन अपने उन स्मृतियों को जीते रहते हैं, वही नन्ही बिटिया बने, वही नन्हें बिटवा बने. निर्दोष भावों से भरी एक पवित्र रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीया मीनाजी.
आदरणीया राजेश कुमारी जी क्या कहूँ , कभी कभी शब्द नही मिलते अपनी भावनाओं को प्रकट करने के लिए .. मेरा आभार स्वीकार करें
सराहने के लिए सादर आभार संदीप पटेल जी
प्रिय आरती शर्मा जी .. मेरा दिली आभार स्वीकारें
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online