For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राजस्थानी भाषा में म्हारा कीं हाइकुड़ा

राजस्थानी भाषा में म्हारा कीं हाइकुड़ा 

मेल-माळीया 
अन धन रो  ढेर 
जीव जूझे क्यूं 
 
चंदा चंदाणे
पळके मूमल ज्यूं 
रूप अनूप 
 
बिछड्यो ढोलो
मरवण  मिटगी
हेत रा थोग 
फूली फसलां
ओढ़ चुनर  पीळी 
मुळके खेत 
 
हेत रा छिण 
बेलां  लूमे रुंखड़ा
भरे बाथियां
 
मायड़ भासा
हुवे माँ बरोबर 
मोल पिछाणो

कुरजां,मोर
चिरमी,हिंडा,तीज 
कठे गमग्या ?

सोधूं उजास 
पण लाधे अंधारो 
मांये-बारणे

मझली रातां 
झीणी-झीणी बरसे 
थांणी ओल्युं ज्यूं 
आशा  पाण्डेय ओझा 

Views: 788

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by asha pandey ojha on March 7, 2013 at 9:12am

 आदरनीय सौरभ जी भाईसाहब सही कहा आपने यह भाषा बड़ी भावमय है सबसें बड़ी बात बहुत मीठी व आदरपूर्वक बोले जाने वाली भाषा है .. वेसे भी मेरी समझ में यह नहीं आता सरकार किसी भी बोली या भाषा का पोषण करने के बजाय उसें मिटाने पर क्यों तुली रहती .. जबकि कितने युग ..पीढियां लग जाती हैं किसी बोली या भाषा को पनपने में ,विकसित होने में ..सरकार को चाहिये कि वो लुप्त होती हुई बोलियां व भाषाओँ के अस्तित्व को बचाने का स्वयं भी प्रयास करे व जो लोग इस हवन में अपनी आहुति दे रहे हैं उनका सहयोग करे ,बजाय उनका मनोबल तोड़ने के 

Comment by asha pandey ojha on March 7, 2013 at 8:45am

@ KISHAN KUMAR ji aapro ghano maan abhar sa in Rajsthani rachna Haikuda ne daay kar ne aapree kimtee prtikriya devan saru

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 6, 2013 at 10:56pm

आदरणीया ओ बी ओ मंच पर राजस्थानी रचना पढ़ कर बहुत आनंद आया यदि कुछ ठेठ राजस्थानी शब्दों के अर्थ भी लिखे होते तो आनंद द्विगुणित हो जाता. राजस्थानी गीत तो सदैव से मेरी पसंद रहे हैं. इस अति सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकारें. आदरणीय सौरभ जी की बातों से मैं भी पूरी तरह सहमत हूँ. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 6, 2013 at 8:34pm

आदरणीया आशाजी, आप राजस्थानी भाषा के उत्थान हेतु जिस प्राणपण से जुटी हैं वह हमसभी को खूब मालूम है. इस भाषा का भावमय होना भाषा में संभाषण को संगीत-प्रवाह का भान कराता है.

अपने इस मंच पर इस आत्मविश्वासी राज्य से कई सदस्य हैं. मंच पर राजस्थानी साहित्य का भी एक समूह है. उस समूह में इस रचना का होना उक्त समूह को भी सक्रिय करता. अब लगता है कि उस समूह का सक्रिय होना तय है.

सादर

Comment by asha pandey ojha on March 5, 2013 at 10:32pm

@ Laxman Prasad Ladiwala ji sir aapka hardik aabhar

Comment by asha pandey ojha on March 5, 2013 at 10:31pm
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 5, 2013 at 10:12pm

सुन्दर हाइकु वह भी राजस्थानी भाषा में, इस दिनों वैसे भी राजस्थानी भासः को मान्यता दिलाने का प्रयास किया जा

रहा है इसको बढ़ावा देने के प्रयोसो के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारे आदरनिया आशा पाण्डेय ओझा जी 

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 5, 2013 at 7:42pm
आदरणीया आशा पाण्डेय जी, राजस्थानी रै मांय आप'री लिख्यौङी कविता बहोत ही चोखी है। बीत्यौङी बातां री घणी ओळ्यूँ आवै पण तकनीक रै साथै ई पुराणी बातां बिसरगी। अब कदै ई पुराणी बाताँ आगै कोनी आवै।
कविता के लिए धन्यवाद।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service