For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


सरसों तू क्यों फूली-फूली है, सरसो कि मधुमास रसी!
आमन के बिरवा बौराये गये,फगुआ बयार पगलाये रही।।
पीली-पीली सरसों हरषों ज्यों फगुआ बयार हरहराये रही।
धरती के सूनी आॅचल में बसन्त बनो मुस्कराये रही।।

भौंरे गुंजन कर गाये रहे कलियाॅ-तरूणी इठलाये रही।
पवन मलय मद गंध पिेये,बहकाय तू मस्त झूम रही।।
कोयलिया कूक फिरै वन मा,विरहणियाॅ कन्तन खोज रही।
बगिया फूलन की बेल चढ़ी, पुष्पवाण जियन को भेद रही।।
के पी सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित रचना

Views: 448

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 14, 2013 at 1:28pm

आदरणीय श्रीयोगी सारस्वत जी, आपका आशय  समझ में नहीं आया! कृपया कुछ स्पष्ट करें ताकि गलतियां सुधारी जासकें! धन्यवाद

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 14, 2013 at 1:16pm

आदरणीय श्री सतवीर वर्मा विरकाळी जी, बहुत बहुत धन्यवाद! 

Comment by Yogi Saraswat on March 14, 2013 at 12:02pm

पीली-पीली सरसों हरषों ज्यों फगुआ बयार हरहराये रही।
धरती के सूनी आॅचल में बसन्त बनो मुस्कराये रही।। भौंरे गुंजन कर गाये रहे कलियाॅ-तरूणी इठलाये रही।
पवन मलय मद गंध पिेये,बहकाय तू मस्त झूम रही।।

पीली-पीली सरसों हरषों ज्यों फगुआ बयार हरहराये रही।
धरती के सूनी आॅचल में बसन्त बनो मुस्कराये रही।। भौंरे गुंजन कर गाये रहे कलियाॅ-तरूणी इठलाये रही।
पवन मलय मद गंध पिेये,बहकाय तू मस्त झूम रही।।

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 13, 2013 at 3:57pm
आ॰ केवल प्रसाद जी, बसन्त पर आपकी मनभावन कविता बहुत ही सुन्दर लगी, आभार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आदरणीय अखिलेश से सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । "
5 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । "
5 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ चौसठवाँ आयोजन है।.…See More
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आदरणीय सुशील जी, आदरणीय भाईजी सादर गर्भित कुंडलियां के लिए हार्दिक बधाई  लो  जीजा…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
" आदरणीय लक्ष्मण भाईजी प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी ंसतरंगी होली पर सुंदर दोहावली के लिए हार्दिक बधाई"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं, हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत मनमोहक रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"कुंडलिया. . . . होली होली  के  हुड़दंग  की, मत  पूछो  कुछ बात ।छैल - …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"होली के रंग  : घनाक्षरी छंद  बरसत गुलाल कहीं और कहीं अबीर है ब्रज में तो चहुँओर होली का…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service