चलो अच्छा हुआ ये भ्रम भी टुटा मेरा
वो हमे प्यार करते थे ये झूठ निकला
चलो अच्छा हुआ धोखा जो खा ही लिया
प्यार एतबार से होता है ये भी झूठ निकला
चलो अच्छा हुआ जो गम ही मेरे दामन में आया
कोशिश हमेशा कामयाब होती है ये भी झूठ निकला
चलो अच्छा हुआ जो मैं अकेला हो गया
दोस्त हर पल साथ होते हैं ये भी झूठ निकला
चलो अच्छा हुआ जो हमसे हाल-ए-दिल वो पूछ बैठा
अपने सब समझते हैं ये भी झूठ निकला
Comment
चलो अच्छा हुआ जो मैं अकेला हो गया
दोस्त हर पल साथ होते हैं ये भी झूठ निकला
एक एक पंक्ति लाजवाब , सच सी लगती हुई ! बहुत सुन्दर सोनम जी
मार्मिक भावों से सजी इस कविता के लिए
आपको हार्दिक बधाई।
आदरणीय सोनम जी:
आपकी इस रचना में सच्चाई है, सरलता है ....
मार्मिक भावों से सजी इस कविता के लिए
आपको बधाई।
सादर और सस्नेह,
विजय निकोर
किसी और से प्रीत की आस लगाना .... उस आस का टूट जाना ..... और फिर दिल को तसल्ली देना ...चलो अच्छा हुआ .
इन भावों को सुन्दरता से अभिव्यक्त किया है प्रिय सोनम जी
हार्दिक शुभकामनाएं
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