For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम गोली चलाते आ जाओ, हम तो गले लगाने बैठे है

तुम गोली चलाते आ जाओ, हम तो गले लगाने बैठे है,
तुम रक्त पात करते रहो, हम अपना लहू बहाने बैठे है,

तुम हिंसा को ही धरम मानते,हम अहिंसा के मतवाले है,
तुम दोनों गालो पर मारते रहो,हम तो गाँधी को मानने वाले है,
हर बार पीठ पर तुमने वार किया, फिर भी हम सीना ताने बैठे है,
तुम गोली चलाते आ जाओ, हम तो गले लगाने बैठे है,

तुम पडोसी धरम निभा न सके, हम भाई धरम निभाते है,
तुम फ़ौरन हमला कर देते, जब हम वार्ता के लिये बुलाते है,
तुम नफरत की आग उगलते हो,हम ताज सजाये बैठे है,
तुम गोली चलाते आ जाओ, हम तो गले लगाने बैठे है,

हम पकडे गये दुश्मनों को भी,जहाँ कहा वहां पहुचा दिया,
अफजल,कसाब को भी रखे है, तुमने ही अबतक कुछ नहीं किया,
इक विमान अपहरण कर,ले जाओ, हम आस लगाये बैठे है,
तुम गोली चलाते आ जाओ, हम तो गले लगाने बैठे है,

हम भारत के कर्णधार, हम निति निर्धारण करते है,
हमारा नहीं कुछ बिगडने वाला,इसलिये नहीं किसी से डरते है,
हर बार मूर्ख बनते भारत के भोले लोग,इस बार भी बनने को बैठे है,
तुम गोली चलाते आ जाओ, हम तो गले लगाने बैठे है,
तुम रक्त पात करते रहो, हम अपना लहू बहाने बैठे है,

Views: 832

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विवेक मिश्र on July 15, 2011 at 11:49pm
ज्वलंत मुद्दे पर करारा व्यंग्य गीत. 'हम तो भई जैसे हैं, वैसे रहेंगे' की तर्ज पर हम लोगों ने जिस तरह अपनी आँखें बंद कर रखी हैं, उस पर निशाना साधती इस रचना के लिए हार्दिक बधाई.
जय हो!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 14, 2011 at 6:18pm
शन्नो दीदी, सराहना हेतु आभार |

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 14, 2011 at 6:17pm
आदरणीया रंजना सिंह जी , रचना पसंद करने हेतु आपका बहुत बहुत आभार |
Comment by Shanno Aggarwal on July 14, 2011 at 2:25pm
अहिंसा को अपनाने वाले देश की सहनशक्ति पर बहुत सुंदर रचना लिखी है आपने, गणेश, बधाई !
Comment by रंजना सिंह on July 14, 2011 at 12:36pm

 

Bahut sahi kaha....

Murda koum isse jyada aur kuchh kar bhi kya sakti hai....


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 11, 2010 at 8:47pm
Bahut Bahut Dhanyabaad , Bhai Kamlesh Jee,
Comment by कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा on June 11, 2010 at 8:19pm
वाह..!! क्या संयोग है ,गणेश जी ,भावना भी सन्दर्भ भि.बहुत बढ़िया तमाचा मारा है.इस राज तंत्र पर..बधाई
Comment by shailendra kr. singh on June 7, 2010 at 9:27pm
GANESH JI ,

KUCH AUR RACHNAYEN APNI BHEJE HAME. ACHHA LAGEGA. DHANYAWAAD.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 7, 2010 at 8:49pm
Suman jee, Preetam jee,Yograj bhaiya,Guru jee,Amrendra bhai, Ratnesh bhai,Raju bhai aur Shailendra Bhaiya ko hausala afjaai key liyey bahut bahut dhanyabaad,
Comment by shailendra kr. singh on June 7, 2010 at 8:27pm
SUNDAR RACHNA HAI , ISE BHARAT SARKKAR (mantralya) KO BHI YEH RACHNA BHEJE. THANK U.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"आ. मयंक जी,आप जैसे युवाओं को ग़ज़ल कहने का प्रयास करते देख कर बहुत अच्छा लगता है.आप को अभी और समय…"
7 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सादर प्रणाम सर जी 🙏 मैं मयंक कुमार द्विवेदी इस मंच पर बहुत पहले से जुड़ा हूँ और इस मंच से जुड़ने के…"
9 minutes ago
Ravi Shukla commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सुशील जी सुदंर कुडलिया छंद की प्रस्तुति के लिये बधाई "
29 minutes ago
Ravi Shukla commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . उल्फत
"आदरणीय सुशील जी दोहो की प्रस्तुति के लिये ेबहुत बहुत बधाई दोहो में कुछ कल संयोजन पर काम…"
34 minutes ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाई जी  ग़ज़ल पेश करने के लिये आपको बहुत बहुत बधाई । चरचा  पढने…"
55 minutes ago
Ravi Shukla commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"आदरणीय मयंक जी ग़ज़ल की पेशकश के लिये मुबारकबाद पेश है ।  जानकारी के लिये बता दूँ कि ग़ज़ल से…"
1 hour ago
Ravi Shukla replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश जी आपकी आपकी बातो से सहमत हूँ । आदरणीय समर साहब का मंच के प्रति लगाव निर्विवाद है ।…"
1 hour ago
Ravi Shukla replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय सौरभ जी की पोस्ट से बहुत कुछ जानने को  मिला यद्यपि बिगड़ते माहौल के बारे में सूचना मिली…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ओबीओ पटल पर मर्यादित आचरण की जो परंपरा है उसका हर सदस्य द्वारा हर हाल में पालन किया जाना चाहिए चाहे…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय सौरभ सर,इस मंच पर साहित्यिक विमर्श की परंपरा रही है जिस से मेरे जैसे कई छात्र पिछले १०-११…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सादर नमस्कार, लाइव मुशायरे के दौरान मैं उपस्थित नहीं हो सका था, किंतु यदि वहां ओ बी ओ की परम्परा के…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय तिलक राज भाई , ओबीओ मंच  की मूल भावना को फिर से ताज़ा करने के लिए आभार आपका | आपकी…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service