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किसी से
कुछ भी माँगना
मुझे लगता है
बहुत बुरा...

कुछ भी मांगने से पहले
करना पड़ता है अभ्यास
कैसे हुआ जाएगा प्रस्तुत
देने वाले के सामने
समय कौन सा उचित हो
जब दाता का मूड ठीक हो
किस अंदाज़ में माँगा जाए
भाषा कैसी हो
कि पिघल जाए दाता...

मांगने का अर्थ है
कि गिरवी रख दिया जाए
अपना समूचा अस्तित्व
साथ ही मन में
रहा आये संशय
कि मांगने पर भी
कुछ न मिले तब....?

बड़ी शर्मिंदगी भर देता है
मांगने का अहसास
मेरे खुद्दार अब्बा
इसीलिये कहते हैं
कि मांगना है बेटा
तो मांगो शाह से
भिखारी से नहीं....

और इस नज़रिए से देखता हूँ
तो हर शाह मुझे
भिखारी दिखलाई देता है....
और मैं बिन मांगे लौट आता हूँ...

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Comment

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Comment by कल्पना रामानी on April 23, 2013 at 10:12pm

और इस नज़रिए से देखता हूँ
तो हर शाह मुझे
भिखारी दिखलाई देता है....
और मैं बिन मांगे लौट आता हूँ...

बहुत सुंदर सार्थक रचना के लिए हार्दिक बधाई, अनवर जी....

Comment by अशोक कत्याल "अश्क" on April 9, 2013 at 9:24pm

क्या खूब , एक कसक ......
आपसे प्रेरणा मिलती रहेगी |
सादर

Comment by coontee mukerji on April 7, 2013 at 2:36am

 किसी के सामने हाथ फैलाना  कितना कठिन है खासकर जो स्वाभिमानी हो . अनवर जी उत्तम रचना के लिये बहुत बहुत बधाई हो.

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on April 6, 2013 at 11:56pm

वाह ! लाजवाब रचना !!!

एक उम्दा विषय पर लिखी गयी उत्कृष्ट कविता के लिए हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार कीजियेगा आदरणीय अनवर जी

Comment by ram shiromani pathak on April 6, 2013 at 2:46pm

महोदय सर्वश्रेष्ठ रचना का पुरस्कार पाने के सादर बधाई स्बीकारें।

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 6, 2013 at 1:23pm

और इस नज़रिए से देखता हूँ
तो हर शाह मुझे
भिखारी दिखलाई देता है....
और मैं बिन मांगे लौट आता हूँ..

बधाई सर जी 

सादर 

Comment by Vindu Babu on April 6, 2013 at 12:55pm
महोदय सर्वश्रेष्ठ रचना का पुरस्कार पाने के सादर बधाई स्बीकारें।
ईश्वर आपको साहित्यिक सफलता के शिखर पर पहुंचाए...
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 31, 2013 at 9:19pm

बहुत बढ़िया प्रस्तुति सुंदर विचार आपकी बातों का मै भी अनुमोदन करती हूँ हार्दिक बधाई|

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 31, 2013 at 10:13am

बहुत बहुत उम्दा साहब

बधाई हो आपको

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 31, 2013 at 7:29am

नीचे लिखी प्रतिक्रियाओं का अनुमोदन करता हूँ!

मंगना है तो मांगो शाह से...... 

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