प्रीत शब्दातीत को शुचि भावना अर्पण करूँ...
गूँज लें सारी फिजाएँ
युगल मन मल्हार गाएँ
चंद्रिकामय बन चकोरी
प्रेम उद्घोषण करूँ...
प्रीत शब्दातीत को शुचि भावना अर्पण करूँ...
मन-स्पंदन कर दूँ शब्दित
तोड़ कर हर बंध शापित
नेह पूरित निर्झरित उर
गान से तर्पण करूँ...
प्रीत शब्दातीत को शुचि भावना अर्पण करूँ...
भाव झंकृत हृदय धड़कें
सुरमई सब स्वप्न थिरकें
सहज संवेदना स्वीकृत
सर्वदा हो प्रण करूँ...
प्रीत शब्दातीत को शुचि भावना अर्पण करूँ...
उड़ चलूँ विस्तार लेकर
तर्कणों का सार लेकर
मरघटों की क्षुब्धता को
ज़िंदगी प्रति क्षण करूँ...
प्रीत शब्दातीत को शुचि भावना अर्पण करूँ...
Comment
प्रिय राम शिरोमणि जी
रचना आपको पसन्द आई आपकी शुभकामनाएं मिलीं, मैं आपकी ह्रदय से आभारी हूँ।
बहुत ही गहरे प्रेम की अभिव्तक्ति है प्राची जी , अति सुंदर .
उड़ चलूँ विस्तार लेकर
तर्कणों का सार लेकर
मरघटों की क्षुब्धता को
ज़िंदगी प्रति क्षण करूँ...
प्रीत शब्दातीत को शुचि भावना अर्पण करूँ......
लाजवाब , उत्कृष्ट अभिव्यक्ति
डॉ. प्राची जी आप बेहतरीन कविताएँ रचती हैं । :-)
"भावना अपर्ण करूँ" क्या उत्कृष्ट गीत लिख दिया । 2-3 दिन बार पढ़ा तब रूह तक उतरा ।
उड़ चलूँ विस्तार लेकर
तर्कणों का सार लेकर
मरघटों की क्षुब्धता को
ज़िंदगी प्रति क्षण करूँ...
प्रीत शब्दातीत को शुचि भावना अर्पण करूँ...
हर बंध लाजवाब है । सुन्दर गीत के लिए हार्दिक शुभकामनाएं ।
उड़ चलूँ विस्तार लेकर
तर्कणों का सार लेकर
मरघटों की क्षुब्धता को
ज़िंदगी प्रति क्षण करूँ...
प्रीत शब्दातीत को शुचि भावना अर्पण करूँ...
प्रिय प्राची जी मन के उत्कृष्ट भावों को बहुत सुंदर शब्द दिए हैं बहुत सुंदर पंक्तियां सुंदर नव गीत हेतु हार्दिक बधाई |
आदरणीया, प्राची सिंह, मैमजी, सबसे पहले आपको सपरिवार प्रेम एवं सद्भावना का प्रतीक होली के पावन त्योहार पर हार्दिक शुभकामनाएं।
मन.स्पंदन कर दूँ शब्दित
तोड़ कर हर बंध शापित
नेह पूरित निर्झरित उर
गान से तर्पण करूँ...
प्रीत शब्दातीत को शुचि
भावना अर्पण करूँ............‘ नारी मन की कुण्ठा का सजीव चित्रण एक एक शब्द मन को झंकृत करता हुआ। अतिसुन्दर गीत। कृपया मुझ अकिंचन की बधाई स्वीकार करें, सादर।
गूँज लें सारी फिजाएँ,युगल मन मल्हार गाएँ
चंद्रिकामय बन चकोरी, प्रेम उद्घोषण करूँ...
उड़ चलूँ विस्तार लेकर,तर्कणों का सार लेकर
मरघटों की क्षुब्धता को,ज़िंदगी प्रति क्षण करूँ...
प्रीत शब्दातीत को शुचि,भावना अर्पण करूँ...-- प्रेम में समर्पित भाव हो तो सच्चा प्रेम होता है,स्वत स्फूर्त उद्घोषित होता है , उसमे संवेदना होती है, मन से गायन होता है, प्रेम प्रीत तब अश्रुओ से बरसता है | सुन्दर शब्दों में नवगीत
में अभिव्यक्त किये भावो के लिए हार्दिक बधाई डॉ प्राची जी
भाव झंकृत हृदय धड़कें
सुरमई सब स्वप्न थिरकें
सहज संवेदना स्वीकृत
सर्वदा हो प्रण करूँ...
प्रीत शब्दातीत को शुचि
भावना अर्पण करूँ...
आदरणीया प्राची मैम मेरे पास तो शब्द ही नहीं है की ,क्या कमेंट करूँ ...
नो कमेंट बस वाह वाह !प्रणाम सहित हार्दिक बधाई !
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