ओबीओ परिवार सम, शारद के सब भक्त
’सीख-सिखाना’-अर्चना, भाव गहन हों व्यक्त
भाव गहन हों व्यक्त, आज का दिन पावन है
नदिया धारे धार, जिये नित परिवर्तन है
तट-बंधन दृढ़ युगल, अगर कुछ बेतुक भी हो--
बहती नदिया मौन, कहे सबसे ओबीओ.. .
ओबीओ के प्रादुर्भाव का पावन दिवस सभी सदस्यों और शुभचिंतकों के लिए मंगलमय हो.. . हम समवेत सीखें .. ..
Comment
भाई राम शिरोमणि जी, आप स्वयं इस विस्तार का समृद्ध भाग हैं.
शुभ-शुभ
जी सौरभ जी अच्छी तरह से याद है इस जनवरी को पूरा एक साल हो गया वो दिन मेरे लेखन का यू टर्न कह सकते हैं उस दिन को इसकी बदौलत एक बुक पब्लिश करवाने की हिम्मत बढी अब दूसरी राह में है मेरा बस चले तो सभी ओ बी ओ के गुरुजनों को बुलाकर पेडे बर्फी खिलाऊं एक बार फिर से बधाईयाँ |
आदरणीय सौरभ सर सादर प्रणाम!ओ बी ओ का सभी के लिए सीखने सिखाने का सुन्दर मंच है! मै तो इस मंच को पा कर धन्य हो गया हूँ ! ओ बी ओ की तीसरी वर्षगाँठ पर सादर बधाई.
आदरणीया राजेशकुमारीजी, आपको भी इस मुखर दिन की बधाइयाँ.
मुझे वह दिन कल की ही बात लगती है जब हम आपको फोनिया बैठे थे. आपको भी याद होगा. तबसे आपके लेखनकर्म में हुआ सकारात्मक परिवर्तन आपकी अदम्य इच्छाशक्ति का परिचाय तो है ही, इसके पीछे इस मंच के गुणीजनों का अपार सहयोग भी अवश्य कारण है.
आपको पुनः इस पावन अवसर अनकानेक बधाइयाँ
भाई संदीप जी, आपका होना भी इस मंच की सतत प्रक्रिया का परिचायक है. स्वयं में हुआ काव्यगत परिवर्तन आपको भी आश्वस्त करता होगा. यही किसी सकारात्मक, जागरुक और सार्थक मंच का हेतु है.
शुभ-शुभ
भाई अरुन अनन्तजी, कोई सार्थक उद्येश्य व विस्तृत दर्शन व्यक्तिवाची सोच और अनियंत्रित अहं के दम पर नहीं साधा जा सकता. इस प्रवहमान जागरुकता में आप भी बराबर के हिस्सेदार हैं. यह आपसी समझ ही है कि हम परस्पर इतने निकट हैं. यह आपसी निकटता ही है कि म एक-दूसरे के प्रति इतन आग्रही होतेहैं.
शुभांकाक्षाएँ
शिखाजी,आपके अनुमोदन के हार्दिक धन्यवाद. ओबीओ की वर्षगाँठ पर आपको भी शुभकामनाएँ.
आदरणीय अशोकजी, अनुमोदन हेतु धन्यवाद. इस मंच ने वास्तव में हम सभी को असीम आकाश दिया है. इस वातावरण के प्रति कृतज्ञ न होना पशुता ही कहलायगी.
सादर
वाह आदरणीय सौरभ जी बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति,सच में ओ बी ओ ने हम सभी को बहुत कुछ दिया है सभी को मेरी और से हार्दिक बधाई
जय हो गुरुदेव बहुत ही सुंदर
बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ अनुज की ओर से भी स्वीकार करें
हम तो इस मंच को पा कर धन्य हुए हैं
स्नेह और आशीष की वृष्टि सदा होती रहे जय हो
सादर प्रणाम
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