For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे पास है --

वैचारिक विमर्श के विविध रूप में 
काम आने वाला कबाड़ ,
प्रेम के अप्कर्श का पथ ,
पिछला बाकी सनसनाता डर ,
संजीदा होती साँसें ,
वही पुरानी मजिलें , और 
प्रतिभावान काया,

मुझे --

करनी है, सार्थक पहल , 
नाक की लड़ाई के लिए ,
पूछने है सवाल, चुपके चुपके ,
लयात्मक खुश्बू के लिए ,
करने है खारिज़ व बेदखल ,
व्यवस्था विरोध के स्वर ,
चलना है साथ-साथ ,
जवाब की तलाश मे ,

मैं जानता हूँ --

जब बदलेंगे रास्ते ;
तो जुड़ेंगे तार ,
होगी साझा हितों में ,
कामयाबी की वारिश ,
रहेगी नब्ज़ पर अंगुली ,
और टुकड़ों - टुकड़ों में गहराई ,
होगा आज़ादी का अहसास ,
तिनके - तिनके सुख के लिए ,

अश्क
१० जून १९९९

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 496

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 18, 2013 at 1:42am

आपकी रचनाधर्मिता सार्थक है, आदरणीय अशोक कत्यालजी.

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 11, 2013 at 3:46pm

मस्तिष्क में पल पल कुलबुलाते विचारों के द्वन्द, और उनके सजग एहसास के साथ जीवन पथ पर सामंजस्य बैठाते हुए कामयाबी की मंजिल की ओर बढ़ने की इच्छा,,,समेटी सुन्दर रचना 

जब बदलेंगे रास्ते ;
तो जुड़ेंगे तार ,
होगी साझा हितों में ,
कामयाबी की वारिश ,..............इस पंक्ति नें विशेष रूप से प्रभावित किया 

बहुत बहुत बधाई इस अभिव्यक्ति के लिए आ० अशोक कत्याल जी 

Comment by ram shiromani pathak on April 9, 2013 at 7:40pm

आदरणीय अशोक  जी, क्‍या बात है, बहुत ही उम्‍दा लेखन, सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on April 9, 2013 at 5:18pm

क्‍या बात है, बहुत ही उम्‍दा लेखन, सादर

Comment by vijayashree on April 9, 2013 at 2:10pm

मुझे --

करनी है, सार्थक पहल , 
नाक की लड़ाई के लिए ,
पूछने है सवाल, चुपके चुपके ,
लयात्मक खुश्बू के लिए ,
करने है खारिज़ व बेदखल ,
व्यवस्था विरोध के स्वर ,
चलना है साथ-साथ ,
जवाब की तलाश मे ,

 

अशोकजी सार्थक रचना .........बधाई !

Comment by coontee mukerji on April 9, 2013 at 9:57am

अशोक कत्याल  जी ,बहुत खूब . अंतिम दोनों पंक्ति उपर के भावों को सार्थक कर दिया है . अति सुंदर .

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 9, 2013 at 9:03am

आदरणीय अशोक कत्याल जी, सादर प्रणाम! ’चलना है साथ.साथ ए
जवाब की तलाश मे’... बहुत सुन्दर कविता, सामाजिक स्वतंत्रता के लिए हम सभी को एक साथ स्वर मिलाना ही होगा। आपको हार्दिक बधाई। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service